Thandai History: भगवान शिव पर सबसे पहले चढ़ाई गई थी ठंडाई लेकिन जानें क्या है इसे होली पर पीने का महत्व

Smriti Nigam
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Thandai History: होली का त्योहार अब आने वाला है हर कोई इस त्यौहार की तैयारी में लगा हुआ है। रंगों का यह त्यौहार देश भर में धूमधाम से मनाया जाता है। इस दौरान घर में विभिन्न तरह के व्यंजन भी बनते हैं। इन्हीं सब में ठंडाई का भी एक अलग महत्व है। ठंडाई आमतौर पर भांग और सुखे मेंवो से बनाई जाती है लेकिन क्या आप इसका इतिहास जानते हैं

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इस समय हर कोई होली के त्यौहार में व्यस्त है। हर कोई अपने ढंग से इसकी तैयारी कर रहा है। फाल्गुन के महीने में आते ही लोग बेसब्री से इस त्यौहार का इंतजार करते हैं या हिंदू धर्म में सबसे बड़े और अहम त्योहारों में से एक है जिसे हर साल धूमधाम से मनाया जाता है।

त्योहारों का मौका है और इस पर खानपान का जिक्र ना हो ऐसा तो हो नहीं सकता है। ऐसे ही होली में मुख्य रूप से ठंडाई का महत्व है जिसके बिना यह त्यौहार अधूरा माना जाता है।

ठंडाई एक पारंपरिक भारतीय पेय है, जिसका आनंद सदियों से लिया जा रहा है। खासकर शिवरात्रि और होली के दौरान इसे पीने का अपना अलग महत्व है। यही वजह है कि इस दौरान लोग अलग-अलग तरह की ठंडाई पीकर होली का जश्न मनाते हैं लेकिन क्या आप जानते हैं कि आखिरकार ठंडाई का इतिहास क्या है?

ठंडाई का इतिहास

ठंडाई का इतिहास प्राचीन भारत से मिलता है ऐसा माना जाता है कि इसमें औषधीय गुण होते हैं और यह शरीर को ठंडा भी रखता है “ठंडाई” हिंदी शब्द “ठंडा” से लिया गया है। यह पेय दूध, नट्स और मसालों के मिश्रण से बनाया गया है। बात करें इसके इतिहास की, तो ऐसा माना जाता है कि ठंडाई को सबसे पहले भगवान शिव को अर्पित की गई थी और यह महाशिवरात्रि के दौरान भी लोकप्रिय है। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ है।

वहीं से लेकर एक और मान्यता प्रचलित है कहा जाता है कि शिवरात्रि यानी शादी के बाद भगवान शिव के एक तपस्वी (वैराग्य) जीवन से पारिवारिक जीवन (गृहस्थ्य) में लौटने का जश्न मनाने के लिए होली पर भांग की ठंडाई पी जाती है। ठंडाई का पहला रिकॉर्ड 1000 ईसा पूर्व का है, जिसकी वजह से यह देश का सबसे पुराना ड्रिंक माना जाता है।

ठंडाई के फायदे
ठंडाई की परंपरा प्राचीन कॉल से चली आ रही है। इसे बनाने के लिए लोग इसमें सौंफ, खरबूजे के बीज, बादाम आदि का इस्तेमाल करते हैं जो शरीर को ठंडा रखने में भी मदद करते हैं। यह इंद्रियों को तारो ताजा कर देने वाला ड्रिंक है आईए जानते हैं कि कैसे बनती है यह ठंडाई

सामग्री

फुल क्रीम दूध: 1 1/2 लीटर
भीगा और छिला हुआ बादाम: 25
भीगे हुए काजू : 20
पिस्ते उबालकर छीले हुए: 30
खरबूजे के बीज भिगोये हुए: 3 बड़े चम्मच
खसखस/पोस्तो भिगोया हुआ: 3 बड़े चम्मच
केसर (केसर): कुछ रेशे
चीनी: 1 1/2 कप
हरी इलायची: 8-10
गुलाब की पंखुड़ियां: 20-25
दालचीनी: 1 इंच की छड़ी
काली मिर्च : 8-10

बनाने का तरीका

सबसे पहले बादाम, काजू, पिस्ता और खरबूजे के बीज को खसखस के साथ और थोड़े से दूध के साथ बारीक पीसकर पेस्ट बना ले फिर एक पैन में दूध डाले और इसमें केसर डालने जब दूध उबालने लगे तो इसमें चीनी डालें और चीनी घुलने पर धीमी आंच पर पकाएं।
फिर हरी इलायची, सूखी गुलाब की पंखुड़ियां, दालचीनी और काली मिर्च को एक साथ बारीक पीस लें।
इस पेस्ट को दूध में डालें और अच्छी तरह मिलाएं। तीन से चार मिनट तक धीमी आंच पर पकाएं।
दूध में पिसा हुआ पाउडर डालकर अच्छी तरह मिला लें। दूध को ठंडा करके परोसें।