अल्मोड़ा महोत्सव का हुआ रंगारंग उद्घाटन,लेकिन नगर के प्रथम निर्वाचित व्यक्ति को बुलाना भूल गए आयोजक

Newsdesk Uttranews
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उत्तरा न्यूज अल्मोड़ा।अल्मोड़ा में लगातार दूसरी बार प्रशासन की ओर से अल्मोड़ा महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है। गुरुवार को शाम कार्यक्रम स्थल जीआईसी में कुमाऊं कमीश्नर राजीव रौतेला,वरिष्ठ शिक्षाविद मनोरमा जोशी,डीएम नितिन सिंह भदौरिया और अन्य अधिकारियों की मौजूदगी में किया गया। कार्यक्रम को लेकर खूब तैयारियां की गई हैं। रंगारंग कार्यक्रमों के बीच कार्यक्रम का उद्घाटन किया गया लेकिन एक बात जो सबके दिल में आई कि इस पूरे उद्घाटन समारोह से नगर के प्रथम निर्वाचित व्यक्ति नगरपालिका अध्यक्ष मौजूद नहीं दिखे। बाद में पता लगा कि उन्हें इस कार्यक्रम में बुलाया ही नहीं गया। इस पूरे मामले में कांग्रेस ने कड़ी आपत्ति भी जताई है।

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अल्मोड़ा के जीआईसी मैदान में गुरुवार अपराह्न अल्मोड़ा महोत्सव का औपचा​रिक उद्धाटन किया गया। अतिथियों ने दीप जलाकर महोत्सव का उद्घाटन किया। इस दौरान बच्चों और स्थानीय कलाकारों की टीम ने आकर्षक रंगारंग कार्यक्रम प्रस्तुत किए। मुख्य अतिथि कुमाऊं कमीश्नर राजीव रौतेला ने कहा कि अल्मोड़ा में इस प्रकार का आयोजन यहां कई सकारात्मक आयामों को साकार करेगा। इसी ​ उम्मीद के साथ इस आयोजन को किया जा रहा है। जिसमें रंगारंग कार्यक्रमों के साथ साहसिक गतिविधियों के अलावा कई कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है। उम्मीद है कि आने वाले समय में यह बहुआयामी और भव्य किया जाएगा।

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एक बार फिर बात करते हैं उद्घाटन समारोह में पालिकाध्यक्ष की अनुपस्थिति को सभी ने नोटिस किया और कई लोगों ने इस पर नाराजगी भी जताई। हालांकि पालिकाध्यक्ष प्रकाश जोशी ने इस संबंध में फिलहाल कोई सार्वजनिक प्रतिक्रिया जाहिर नहीं की है। लेकिन कांग्रेस ने इस मामले को गंभीरता से ले​ते हुए प्रशासन की कदम को दुर्भाग्यूपूर्ण करार दिया है। कांग्रेस जिलाध्यक्ष पीतांबर पांडे व नगर अध्यक्ष पूरन रौतेला ने इसे दूर्भाग्यपूर्ण करार दिया है । दोनो नेताओं ने कहा कि नगर की सीमा के अंदर हो रहे इस कार्यक्रम में नगर के प्रथम ​व्यक्ति को आमंत्रित नहीं किया जाना दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने कहा कि बेहतर होता कि यह कार्यक्रम की जिम्मेदारी नगरपालिका को दी जाती लेकिन ऐसा नहीं भी किया गया तो कार्यक्रम के उद्घाटन समारोह में पालिकाध्यक्ष को आमंत्रित नहीं किया जाना दुर्भाग्यपूर्ण है। इधर कई लोगों का कहना है कि आचार संहिता इस दौरान केवल ग्रामीण क्षेत्रों में नगर क्षेत्रों में नहीं इसलिए यहां जनप्रतिनिधियों को अवश्य बुलाना चाहिए था। लेकिन अफसरशाही के इस स्वरूप के चलते ही इस प्रकार का अनावश्यक विवाद पैदा होता है।