Holi 2024: क्या आपको पता है की होली कब खेली जाएगी? 25 को या 26 मार्च को जाने पंडित जी से सही जवाब

Smriti Nigam
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Holi kab hai: रंग और उल्लास से से भरा त्योहार होली का सभी को इंतजार से रहता है। इस साल फाल्गुन पूर्णिमा 24 मार्च को है और इसी रात को होली का दहन किया जाएगा हालांकि लोगों के बीच अभी भी होली को खेलने को लेकर कंफ्यूजन है।

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Holi 2024 Grahan: हर साल फाल्गुन महीने की पूर्णिमा तिथि को होलिका दहन किया जाता है। यह बुराई पर अच्छाई का पर्व है। इस साल फाल्गुन पूर्णिमा 24 मार्च को पड रही है फिर फाल्गुन पूर्णिमा के अगले दिन रंग खेला जाता है। लोग एक दूसरे को रंगों में डुबो देते हैं। गुजिया लड्डू आदि पकवान भी खाए जाते हैं। लगभग पूरे देश में होली का त्योहार जोर शोर से मनाया जाता है, लेकिन इस बार होली खेलने को लेकर लोगों के बीच कन्फ्यूजन की स्थिति बनी हुई है। कुछ लोगों का कहना है की होली 25 मार्च को खेली जाएगी तो कुछ लोगों का कहना है की होली 26 को खेली जाएगी। आईए जानते हैं ज्योतिषाचार्य से की कौन से दिन होली खेलने शुभ रहेगा।

होलिका दहन मुहूर्त 2024

पंचांग के अनुसार इस साल फाल्गुन पूर्णिमा तिथि 24 मार्च को सुबह 9:54 से शुरू होकर अगले दिन यानी 25 मार्च को दोपहर 12:29 पर समाप्त होगी। होलिका दहन रात्रि में किया जाता है इस साल होलिका दहन का शुभ मुहूर्त रात 11:13 से लेकर 12:27 तक है इसलिए होलिका दहन के लिए आपको 1 घंटे 14 मिनट का समय मिलेगा

होली कब है?

फाल्गुन पूर्णिमा को होली दहन के बाद होली खेली जाती है। इस साल 25 मार्च को चंद्र ग्रहण लगने से लोगों के मन में असमंजस है कि होली 25 को मनाई जाएगी यह 26 को क्योंकि चंद्र ग्रहण भारत में नहीं दिखाई देगा। इसके कारण असमजंस की स्थिति पैदा हो रही है। मैदानी क्षेत्रों में 25 को होली मनाई जा रही है लेकिन उत्तराखण्ड के कुमांऊ के पर्वतीय इलाकों में होली यानि छरड़ी 26 को ही मनाई जाएंगी।

ऐसे करें होलिका दहन

बुराई पर अच्‍छाई की जीत का पर्व होलिका दहन विधि-विधान से करना चाहिए। इसके लिए शाम को सूर्यास्‍त के बाद स्‍नान कर लें। फिर शुभ मुहूर्त में होलिका दहन पूजा करें। पूजा के लिए घर पर गाय के गोबर से होलिका और प्रहलाद की प्रतिमा बना लें या बाजार से प्रतिमा ले आएं। इसके बाद साफ जगह पर प्रतिमा स्‍थापित करें। उसकी रोली, फूल, कच्‍चा सूत, गुड़, साबुत हल्‍दी, गुलाल और जल से पूजा करें। बताशे, नारियल, मिठाई और फल अर्पित करें. फिर होलिका की 7 बार परिक्रमा करें। इसके बाद होलिका दहन करें।