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अधिकतर आबादी मौन रहकर पीड़ा सहती है: प्रधान न्यायाधीश

उत्तरा न्यूज टीम
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नई दिल्ली। भारत के प्रधान न्यायाधीश एनवी रमण ने शनिवार को अखिल भारतीय जिला विधिक सेवा प्राधिकरणों की पहली बैठक के दौरान कहा कि जनसंख्या का बहुत कम हिस्सा ही अदालतों में पहुंच सकता है और अधिकतर लोग जागरुकता एवं आवश्यक माध्यमों के अभाव में मौन रहकर पीड़ा सहते रहते हैं। कहा कि लोगों को सक्षम बनाने में प्रौद्योगिकी बड़ी भूमिका निभा रही है। उन्होंने न्यायपालिका से न्याय देने की गति बढ़ाने के लिए आधुनिक प्रौद्योगिकी उपकरण अपनाने का आग्रह किया।

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न्यायमूर्ति रमण ने कहा, (न्याय: सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक) न्याय की इसी सोच का वादा हमारी (संविधान की) प्रस्तावना प्रत्येक भारतीय से करती है। वास्तविकता यह है कि आज हमारी आबादी का केवल एक छोटा प्रतिशत ही न्याय देने वाली प्रणाली से जरूरत पड़ने पर संपर्क कर सकता है। जागरुकता और आवश्यक साधनों की कमी के कारण अधिकतर लोग मौन रहकर पीड़ा सहते रहते हैं।