उत्तराखंड के दुर्गम इलाकों में सस्ती बिजली का सपना अधूरा, अधिसूचना के इंतजार में पहाड़वासी

उत्तरा न्यूज टीम
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उत्तराखंड के दुर्गम पहाड़ी क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को सस्ती बिजली मुहैया कराने का राज्य सरकार का वादा अभी तक पूरा नहीं हो पाया है। 10,000 फीट से अधिक ऊंचाई वाले हिमाच्छादित क्षेत्रों में बिजली दरों में रियायत देने का प्रावधान तो किया गया, लेकिन जरूरी अधिसूचना जारी न होने के कारण पहाड़वासी इसका लाभ नहीं उठा पा रहे हैं और उन्हें महंगी बिजली के लिए मजबूर होना पड़ रहा है।

गौरतलब हो, राज्य सरकार ने पहाड़ी क्षेत्रों के विकास और वहां के लोगों को राहत देने के लिए हिमाच्छादित क्षेत्रों में बिजली की दरों में भारी कमी करने का फैसला लिया था। इसके तहत घरेलू कनेक्शन के लिए मात्र 18 रुपये फिक्स चार्ज और 1.75 रुपये प्रति यूनिट बिजली दर निर्धारित की गई थी। इसी तरह अघरेलू कनेक्शन के लिए भी रियायती दरें तय की गई थीं।

हालांकि, इस योजना को लागू करने के लिए जरूरी था कि संबंधित क्षेत्रों की पहचान कर उनकी अधिसूचना जारी की जाए। जिलाधिकारियों ने अपने-अपने जिलों में ऐसे क्षेत्रों की पहचान कर रिपोर्ट शासन को भेज दी, लेकिन राजस्व विभाग की ओर से अब तक इस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है और अधिसूचना जारी नहीं की गई है।

बता दें, अधिसूचना जारी न होने के कारण पहाड़वासी सस्ती बिजली का लाभ नहीं उठा पा रहे हैं। उन्हें सामान्य दरों पर ही बिजली बिल का भुगतान करना पड़ रहा है, जो उनके लिए आर्थिक बोझ है। ऊंचाई वाले इलाकों में रहने वाले लोगों की आर्थिक स्थिति वैसे ही कमजोर होती है और महंगी बिजली उनके लिए एक अतिरिक्त समस्या बन गई है।

एक तरफ जहां ऊंचाई वाले इलाकों में सस्ती बिजली का सपना अधूरा है, वहीं दूसरी तरफ राज्य सरकार ने अन्य श्रेणियों के लिए बिजली दरों में वृद्धि की है। सरकारी स्कूल-कॉलेज, अस्पताल, किसान, रेलवे और इलेक्ट्रिक व्हीकल चार्जिंग स्टेशन सभी के लिए बिजली महंगी हो गई है। इससे आम जनता पर आर्थिक बोझ बढ़ा है। पहाड़वासी अब भी उम्मीद लगाए बैठे हैं कि सरकार जल्द ही इस मामले पर ध्यान देगी और अधिसूचना जारी कर उन्हें सस्ती बिजली का लाभ देगी। इससे न सिर्फ उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार होगा, बल्कि पहाड़ी क्षेत्रों के विकास को भी गति मिलेगी।