Uttarakhand- पहाड़ की जवानी बदल देगी पहाड़ की तस्वीर, बस ईमानदारी से नीति बनाए सरकार

उत्तरा न्यूज डेस्क
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Uttarakhand-रिवर्स पलायन का स्किल बहुत जल्द बदलकर रख देगा पहाड़ का स्वरूप

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ललित मोहन गहतोड़ी:-
कोरोना संक्रमण की दुख भरी खबरों के बीच एक अच्छी भरी खबर भी सामने आ रही है।

वह यह कि यदि सब कुछ ठीक ठाक रहा तो रिवर्स पलायन कर पहुंचे युवा जल्द ही पहाड़ की तस्वीर बदलकर रख देगा जिसके लिए उसने अभी से कमर कसनी शुरू कर दी है इसके लिए सरकार की ओर से उसे सही दिशा दिए जाने की जरूरत होगी। इस खबर की तस्दीक के रूप में सोशल मीडिया में गांव- गांव से आ रही चमकती दमकती तस्वीरों में साफ झलकती नजर आ रही है।

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यह खुशी की बात है कि Uttarakhand गांवों का पलायन धीरे धीरे ही सही रिवर्स होता जा रहा है। इस बीच में ही 50 हजार से ज्यादा लोगों के वापसी के आंकड़े सामने आ रहे थे। हो भी क्यों नहीं यह उनके युवा स्वप्नों का गांव है जहां वापस आने के लिए वह लंबे समय से तड़प रहे थे। इसके साथ ही इन युवाओं की गांवों को संवारने की उनकी कवायद का भी लोग खुलकर समर्थन कर रहे हैं। घर वापसी के बाद युवा भी भविष्य को लेकर काफी संजीदा नजर आ रहा है।

इस बीच घर वापसी के सा ही अधिकांश युवाओं ने अपने-अपने लिए रोजगार की संभावनाएं तलाशनी शुरू कर दी हैं। सबसे पहले उसने अपने गांव मोहल्ले की तस्वीर बदली है। गांवों के साथ जुड़ते हुए यहां अनेक सरकारी योजनाओं का क्रियान्वयन किया है।

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यह कोई एकाएक नहीं हुआ है इसके लिए आपको हमारे साथ ठीक दो वर्ष पीछे चलना होगा। जब पलायन आयोग की ओर से Uttarakhand गांवों से बाहर बसी इस स्किल को तलाशना शुरू कर दिया था जो भविष्य में वापस अपनी माटी की ओर लौट उनके आंकड़ों को बढ़ा सकें।

तभी से शहरों के कोलाहल को छोड़कर पहाड़ के शांत वातावरण में अपने लिए रोजगार की संभावनाएं तलाशनी शुरू भी कर दी थी। जिसमें कुछ हद तक वह सफल भी रहा है। इसके साथ ही अनेक युवाओं ने केंद्र् पोषित योजना मनरेगा सहित अपने पुश्तैनी कामकाज में हाथ बंटाना शुरू कर दिया या फिर अपने शौक के लिहाज से अपना काम शुरू भी कर दिया है।

इसके तहत फूलों की खेती, काश्तकारी के रूप में फल सब्जी पैदावार आदि में हाथ आजमाना शुरू कर दिया था। इन कार्यों में यहां के युवाओं को महारत हासिल है जिसे यह बचपन से करते आए हैं।

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अर्थव्यवस्था के लिहाज से पर्वतीय गांवों की दशा खराब होने के बावजूद यहां पर अधिकांश गांव तोक में सड़क, बिजली और पानी जैसी मूलभूत सुविधाओं की पहुंच बन चुकी है। बुनियादी सुविधाओं के रूप में शिक्षा और स्वास्थ्य के साथ रिवर्स पलायन के मद्देनजर स्वरोजगार के नये आयाम तलाशें जाने की जरूरत है।

पलायन आयोग को चाहिए कि समय की नजाकता के लिहाज से रिवर्स हो रहे पलायन को ध्यान में रखकर लाभकारी योजनाओं का क्रियान्वयन करें। क्योंकि पहाड़ की जवानी अब अपनी क्षमता सिद्ध करने को लेकर सजग नजर आने लगी है।

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