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उत्तराखंड के इन गांवों में नहीं मनाई जाती होली, जानिए क्या है इसके पीछे की वजह , अनहोनी या अपसकुन होने की आशंका

उत्तरा न्यूज डेस्क
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आज विश्वभर में रंगों के त्यौहार होली को बड़े ही धूमधाम से मनाया जा रहा है। होली पर्व को लेकर लोगों में काफी उत्साह रहता है। लेकिन कई लोग ऐसे भी होते है जो होली नहीं मनाते है। होली ना मनाने के पीछे अलग अलग मान्यताएं है, कई लोग इसको अपशकुन से जोड़ते है तो कई लोग पुरानी परंपराओं के अनुसार इसको अनहोनी की आशंका से भी जोड़ते है। उत्तराखंड के कई ऐसे गांव है जहां पर होली नहीं खेली जाती है।

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रुद्रप्रयाग जिले के तीन गांवों में देवी के कोप के डर से सालों से होली नहीं मनाई जाती है। रुद्रप्रयाग के अगत्स्यमुनि ब्लॉक की तल्ला नागपुर पट्टी के क्वीली, कुरझण और जौंदला गांव में गांव में होली का त्योहार नहीं मनाया जाता है। तीन सदी से पूर्व यहां के यह गांव बसे तभी से लेकर अब तक यहां का कोई भी होली नहीं मनाता। मान्यता है कि मां त्रिपुरी सुंदरी के श्राप के कारण ग्रामीण होली नहीं मनाते।

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वही कुछ लोग कहते है कि डेढ़ साल पहले यहां होली खेली गई जिसके कारण गांवमें हैजा फैल गया। जिसके बाद से ग्रामीणों ने इस त्योहार को मनाना ही छोड़ दिया।

इसके साथ ही पिथौरागढ़ जिले के तीन तहसीलों धारचूला, मुनस्यारी और डीडीहाट के करीब 100 गावों में होली नहीं मनाई जाती है। पूर्वजों के समय से चली आ रही है। यहां के बुजुर्गों का मानना है कि शिव के पावन स्थल छीपलाकेदार में स्थित है। पूर्वजों के मुताबिक शिव की भूमि पर रंगों का प्रचलन नहीं होता है। जो कि अब परंपरा बन गई है।