बंशीधर भगत (banshidhar bhagat) ने ‘भद्दी’ टिप्पणी करके दिखाई महिलाओं के प्रति अपनी सोच

Newsdesk Uttranews
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हेमराज सिंह चौहान

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उत्तराखंड में अगले साल विधानसभा चुनाव होने है। इसके लिए पर्वतीय राज्य में सत्ताधारी बीजेपी पूरे राज्य में हर विधानसभा में अपने कार्यकर्ता संवाद कार्यक्रम चला रही है‌। इसी कड़ी में मंगलवार को बंशीधर भगत (banshidhar bhagat) भीमताल में थे। वहां कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए उन्होंने कांग्रेस की सीनियर नेता और विधानसभा में विपक्ष की नेता इंदिरा हृदयेश पर भद्दी टिप्पणी की। उनकी इस टिप्पणी पर वहां मौजूद कार्यकर्ता ठहाके लगाते दिखे।

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मंच पर मौजूद महिला कार्यकर्ताओं का भी इस तरह ठहाके लगाना अजीब था। इंदिरा के बहाने की गई ये टिप्पणी हर महिला का अपमान था। उनकी संख्या आबादी के अनुपात में लगभग आधी है। विरोधी दल के नेता पर उसके लिंग के आधार पर की गई ये टिप्पणी बिल्कुल भी बर्दाश्त करने लायक नहीं थी। शायद इसी वजह से डैमेज कंट्रोल करने के लिए राज्य के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत खुद आगे आए। उन्होंने ट्वीट करके व्यक्तिगत तौर पर इसके लिए माफी मांगी। उनकी इस कोशिश का स्वागत होना चहिए।

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दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी होने का दावा करने वाली पार्टी का एक प्रदेश अध्यक्ष अगर ये टिप्पणी करता है तो इसे हल्के में तो बिल्कुल नहीं लिया जा सकता है। कहीं ना कहीं बंशीधर भगत (banshidhar bhagat) की ये टिप्पणी महिलाओं के प्रति उनका नजरिया भी दिखाता है‌। उन्होंने अपने भाषण में जो कहा पहले वो समझ लेते हैं‌। उन्होंने इंदिरा हृदयेश के हाल के बयान पर टिप्पणी करते हुए कहा, हमारी नेता प्रतिपक्ष कह रही बहुत से विधायक मेरे संपर्क में हैं। अरे बुढ़िया तुझसे क्यों संपर्क करेंगेए किससे संपर्क करेंगे, डुबते जहाज से संपर्क करेंगे। उनकी इस भद्दी टिप्पणी पर तालियों और ठहाकों का शोर भी सुनाई दे रहा है।

इस बयान को आप ध्यान से बार.बार सुनेंगे और उनके शरीर के हाव-भाव देखेंगे, तो आप समझ जाएंगे कि वो किस ‘संपर्क’ की बात करेंगे। उनके इस बयान से साफ है कि महिला को उपभोग की वस्तु समझते हैं। 79 साल की महिला पर उनकी ये टिप्पणी उनकी पुरुषवादी सोच को भी दिखाता है, जिसमें वो खुद को महिला से ऊंचा समझता है। हर महिला का सम्मान होता है और उसे संविधान में अधिकार प्राप्त है कि वो बराबरी की हकदार है।

उत्तराखंड की बात करें तो इस राज्य में महिलाएं संघर्ष का जीता जागता उदाहरण है। वो मेहनत के मामले में पुरुष से कहीं कम नहीं है। घर के काम से लेकर बाहर के कामों में उनकी सक्रियता सराहनीय है। ये बयान देने से पहले वो भूल गए है कि वो जो कह रहे हैं, वो पूरी तरह से लिंग के आधार पर भेदभाव वाला है। वो स्वयं से सीनियर नेता हैं और प्रदेश की राजनीति से भली भांति परिचित हैं।

चिपको आंदोलन से लेकर शराबबंदी और उत्तराखंड राज्य बनने में राज्य की महिलाओं के योगदान को वो कैसे भूला सकते हैैं रामपुर तिराहा कांड के बारे में वो नहीं जानते। अलग राज्य बनने के लिए आंदोलन कर रही महिलाओं के साथ बर्बरता उन्हें याद नहीं है। अगर वो महिलाओं को बराबरी देने के हक में हैं तो उन्हे गर्व होना चाहिए कि एक महिला आज विधानसभा में प्रतिपक्ष की नेता हैं‌। राजनीति में वो अपनी मेहनत पर यहां तक पहुंची हैं‌। वो अपने इस बयान से क्या साबित करना चाह रहे थे।

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गौरतलब है कि बंशीधर भगत (banshidhar bhagat) रामलीला में दशरथ के पात्र का अभिनय करते हैं। अपनी पत्नी के मान के लिए दशरथ अपने बेटे राम को वनवास भेजते हैं। वो भला कैसे भूल सकते हैं कि रामायण में महिलाओं को कितना सम्मान दिया जाता है।

बंशीधर भगत (banshidhar bhagat) ने जो कल टिप्पणी की, वो कहीं ना कहीं उनके असली चेहरे को सामने लाता है जिसमें महिलाओं के प्रति उनकी पितृसत्तात्मक सोच दिखाई देती है‌‌। एक तरफ वो जिस पार्टी से संबंध रखते हैं वो संसद और विधानसभाओं में महिलाओं को एक तिहाई आरक्षण मिलने की हिमायत करती है, दूसरी तरफ वो विधानसभा में सम्मानित पद पर बैठी एक महिला के खिलाफ ऐसी ओछी टिप्पणी करते हैं। उन्हें बिना शर्त अपने इस बयान के लिए माफी मांगनी चाहिए, अगर वे ऐसा नहीं करते तो साफ है कि उन्हें अपने बयान पर कोई पछतावा नहीं है और वो महिलाओं के प्रति पूर्वाग्रह से ग्रसित हैं।

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