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अगर आपको भी है प्रेग्नेंसी से जुड़ी ये गलतफहमिया, रहा पढ़कर करे दूर

Newsdesk Uttranews
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नई दिल्ली। घर में बच्चे की आने की खबर माता-पिता के अलावा घर-परिवार के बाकी लोगों को भी काफी खुशी देती है। लोग नन्हे मेहमान के आने की तैयारियों में लग जाते हैं, पूरा परिवार काफी उत्साहित होता है। हालांकि, महिला के गर्भवती होने के समय सब इस बात की दुआ भी करते हैं कि मां और बच्चा दोनों पूरी तरह सुरक्षित रहें। वहीं, गर्भावस्था को लेकर कुछ भ्रांतियां भी हैं, जो महिलाओं के बीच फैली हुई हैं। कुछ महिलाएं तो इन बातों पर विश्वास तक कर लेती है। ऐसे में इन भ्रांतियों को दूर करना काफी जरूरी है, ताकि इनसे बचा जा सके। तो चलिए हम आपको ऐसी ही कुछ भ्रांतियों के बारे में और इनकी सच्चाई के बारे में बताते हैं।

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भ्रांति नंबर 1

अगर किसी महिला का जल्दी प्रसव होता है, तो उसका लड़का होता है। लेकिन अगर प्रसव देर से होता है तो भी लड़की का जन्म होता है।

सच्चाई ये है

ये बात सही नहीं है, क्योंकि डिलीवरी में देरी या जल्दी मेडिकल कंडीशन पर निर्भर करती है।

भ्रांति नंबर 2

अगर महिला का मीठा खाने का मन कर रहा है, तो फिर लड़की होगी। वहीं, अगर खट्टा खाने का मन कर रहा है, तो लड़के का जन्म होगा।

सच्चाई ये है

इस बात का कोई वैज्ञानिक प्रमाण मौजूद नहीं है, इसलिए ये बात बेकार है। लड़का होगा या लड़की ये सब हार्मोन्स के उतार-चढ़ाव के कारण होता है।

भ्रांति नंबर 3

अगर एक बार सिजेरियन से बच्चा पैदा हो जाए, तो फिर दूसरी डिलीवरी नॉर्मल नहीं हो सकती।

सच्चाई ये है

अगर डिलीवरी का केस सामान्य है, और इसमें कोई जटिलता नहीं है तो ऐसे में दूसरी बार नॉर्मल डिलीवरी हो सकती है। जब किसी केस में कॉम्पिलीकेशंस यानी जटिलताएं आती हैं, तभी सर्जरी की जाती है।

भ्रांति नंबर 4

महिला के अलट्रासाउंड करवाने से बच्चे पर बुरा असर पड़ता है।

सच्चाई ये है

विशेषज्ञ भ्रूण की पोजिशन यानी स्थिति को देखने के लिए तीसरे, पांचवे, सातवें और फिर नौवें महीने में अलट्रासाउंड करवाते हैं। ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि बच्चा पूरी तरह से सेहतमंद और सुरक्षित रहे।