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Almora:: अशासकीय विद्यालयों के विद्यार्थियों को टेबलेट नहीं दिये जाने पर शिक्षकों ने जताई नाराजगी

Newsdesk Uttranews
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अल्मोड़ा, 02 जनवरी 2021- अशासकीय सहायता प्राप्त विद्यालयों के विद्यार्थियों को टेबलेट का प्रवधान नहीं किया जाने पर यहां अध्ययनरत विद्यार्थी व शिक्षक निराश हैं।

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शिक्षकों ने इसे निराशाजनक व दुर्भाग्यपूर्ण बताया है।इन विद्यालयों के शिक्षकों का कहना है कि इन्हीं अशासकीय विद्यालयों नें दूरस्थ स्थानों पर शिक्षा के प्रसार में महत्वपूर्ण योगदान प्रदान किया। एक समय ऐसा था कि जिला स्तर पर एक दो राजकीय विद्यालय हुआ करते थे शेष स्थानों पर स्थानीय जनता आपसी सहयोग से इन विद्यालयों का संचालन किया करती थी और क्षेत्र में शिक्षा का प्रचार प्रसार कर समाज को आगे बढ़ाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन करती थी।

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और वर्तमान में भी इसी कार्य में रत है। लेकिन दुर्भाग्य का विषय है ऐसे विद्यालयों में अध्ययनरत विद्यार्थी केन्द्र व राज्य की अनेक( सर्वे शिक्षा, रमसा ,विद्यालय गणवेश , प्रयोगशाला मद , विद्यालय रखरखाव हेतु आदि) योजनाओं सें वंचित हैं जिसके कारण ऐसे विद्यालय छात्र संख्या की कमी का सामना कर रहे हैं।


कुछ विद्यालय सरकारों के दबाव में प्रान्तीकरण की राह में चल पड़े हैं और स्थानीय जनता का विद्यालयों से नियंत्रण व हस्तक्षेप समाप्त होता जा रहा है।


उत्तराखंड माध्यमिक शिक्षक संघ के पूर्व प्रांतीय महामंत्री डा. मनोज कुमार जोशी ने कहा कि अभिवावक व विद्यालय प्रबंध तंत्र अशासकीय विद्यलयों में अध्ययन कर रहे विद्यार्थियों के साथ सरकारों द्वारा किए जा रहे भेदभाव में मूकदर्शक बनी है साथ ही जनप्रतिनिधियों का मौन भी चिन्ता का विषय है


कहा कि राजकीय विद्यालयों में कार्यरत साथियों के पास पद्दोन्नति के अनेक अवसर हैं वहीं दूसरी ओर अशासकीय में कार्यरत साथियों के पास यदि सम्भव हो सका तो प्रधानाचार्य तक पहुंचाने का अवसर होता है उसमें भी ऐसे बदलाव कर दिये गये हैं कि लम्बा अनुभव प्राप्त साथी वहां नहीं पहुंच पा रहे हैं जो दुर्भाग्य का विषय है।


उन्होने सरकार से मांग है कि अशासकीय सहायता प्राप्त विद्यलयों में अध्ययनरत विद्यार्थियों को वह सभी सुविधाएं प्रदान की जाएं जो राजकीय विद्यालयों में अध्ययनरत विद्यार्थियों को प्राप्त हैं। साथ ही अशासकीय सेवा में कार्यरत शिक्षक व कर्मचारियों को राजकीय सेवा में प्रवेश हेतु विकल्प प्रदान करे ताकि उन्हें सतत पद्दोन्नति के अवसर प्राप्त हो सकें।