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ज्यादातर भारतीयों को लगता है कि शेयर बाजार में गिरावट का असर उन पर पड़ा- सर्वे

Newsdesk Uttranews
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नई दिल्ली, 18 जून 2022- भारतीयों के लिए देश की अर्थव्यवस्था से जुड़ी अच्छी और बुरी दोनों खबरें आना आम बात हो गई है।

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व्यापार के आंकड़ों से पता चला कि देश के पास वित्तीय वर्ष 2022-23 में व्यापारिक निर्यात में 500 बिलियन डॉलर को छूने का मौका है।

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यह मुख्य रूप से अमेरिका में ब्याज दरों में वृद्धि और प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले अमेरिकी डॉलर के मजबूत होने जैसे वैश्विक कारकों के कारण है। साथ ही यूक्रेन में जारी युद्ध का भी प्रभाव पड़ा, क्योंकि तेल की कीमतें बहुत अधिक रहीं, जिसके कारण भारत में महंगाई बढ़ी।

हालांकि, 5 फीसदी से भी कम भारतीय शेयर बाजारों में निवेश करते हैं या तो इक्विटी की सीधी खरीद के माध्यम से या म्यूचुअल फंड के माध्यम से। और फिर भी, अधिकांश भारतीयों का मानना है कि शेयर बाजारों में गिरावट का असर उन पर और उनके परिवारों पर पड़ा।

आईएएनएस सीवोटर ट्रेकर से पता चला है कि आर्थिक मुद्दों पर जनता की धारणा अक्सर उन चीजों से प्रभावित होती है, जो सीधे और तुरंत उनके जीवन को नहीं बदलती हैं।

यह फिर से साबित हुआ जब सीवोटर ने आईएएनएस की ओर से एक राष्ट्रव्यापी सर्वेक्षण किया, जिसमें यह पता लगाया गया कि सेंसेक्स के गिरने को लेकर आम भारतीय क्या महसूस करते हैं।

कुल मिलाकर, 68 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने महसूस किया कि क्रैश से उन्हें और उनके परिवारों पर फर्क पड़ा है।

लिंग, शिक्षा, आय और जातीय विभाजन के संदर्भ में, सर्वेक्षण में बहुत गहरे अंतर नहीं सामने आए।

उदाहरण के लिए, जहां 79 प्रतिशत उच्च श्रेणी के हिंदुओं ने कहा कि क्रैश ने उन्हें प्रभावित किया है। वहीं 72 प्रतिशत अनुसूचित जातियों ने भी यही भावना साझा की है।

ग्रामीण भारत की तुलना में शहरी प्रतिक्रियाओं में वास्तव में बड़ा अंतर देखा गया।

जबकि ग्रामीण भारत के 61 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने कहा कि शेयर बाजार में गिरावट ने उन्हें प्रभावित किया है, शहरी भारत के 79 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने ऐसा ही महसूस किया है।