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Almora:किशोरी सदन में रह रही बालिका परिजनों को सौंपी,माता —पिता की पहचान के लिए कराना पड़ा था डीएनए परीक्षण(DNA test)

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DNA test had to be done to identify the parents

अल्मोड़ा, 24 फरवरी 2022 – अपने माता पिता से बचपन में ही बिछड़ जाने वाली एक बच्ची को आज उसके माता पिता के सुपुर्द किया गया। यह बच्ची बचपन में ही परिवार से बिछुड़ गई थी।

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और माता पिता का पता लगाने के लिए डीएनए परीक्षण (DNA test)का सहारा लेना पड़ा। लेकिन एक टीम वर्क और सार्थक पहल के माध्यम से एक बालिका अपने जैविक माता पिता से मिल पाई । और अब उसे उनके सुपुर्द कर दिया गया है।

इस बच्ची को बाल कल्याण समिति नैनीताल ने चार साल पूर्व बरामद किया था और नाबालिग होने के चलते अल्मोड़ा के बाल गृह किशोरी में रखा था।

गुरूवार को बच्ची को अल्मोड़ा की बाल कल्याण समिति की मौजूदगी में परिजनों को सुपुर्द किया गया, जब बच्ची को परिजनों के सुपुर्द किया गया तब प्रशासन, विधि विभाग, न्याय विभाग और प्रोबेशन अधिकारी भी मौजूद रहे।

इस दौरान बालिका को उसकी माता की सुपुर्दगी में दिये जाने के समय माननीय जनपद न्यायाधीश मलिक मजहर सुल्तान, सिविल जज (सी०डिं०) / सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण अल्मोडा रविशंकर मिश्रा, जिला परिवीक्षा अधिकारी राजीव नयन तिवारी, विधि सह परिवीक्षा अधिकारी सुश्री अभिलाषा तिवारी व अधीक्षिका राजकीय बाल गृह किशोरी बख अल्मोड़ा मंजू उपाध्याय व बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष रघु तिवारी और सदस्य मीता उपाध्याय, त्रिलोक लटवाल और तथा नेपाल से आये सामाजिक कार्यकर्ता सलमान भी उपस्थित थे। इसके बाद मौजूदा बाल कल्याण समिति के पदाधिकारियों की उपस्थिति में बच्ची को सुपुर्द किए जाने की कार्रवाई की गई।

जिला प्रोबेशन अधिकारी राजीव नयन तिवारी ने बताया कि यह बच्ची मूल रूप से नेपाल मूल की है और 2018 से अल्मोड़ा बाल गृह किशोरी सदन में रह रही है। आज से उसे जैविक माता पिता के ​सुपर्द कर दिया गया है और अब वह अपना सामाजिक जीवन की शुरूआत करेगी

जानकारी के दौरान 2018 से यह बच्ची अल्मोड़ा के किशोरी सदन में रह रही है। इस दौरान एक महिला और पुरुष ने वहां पहुंच कर उस बालिका का माता पिता होने का दावा किया था। किन्तु वह बालिका उनको पहचानती नहीं थी। इसलिए उस बच्ची को तब माता पिता बताने वालों को नहीं दिया गया।

जिला बाल संरक्षण इकाई में कार्यरत विधि सह परिवीक्षा अधिकारी अल्मोड़ा एडवोकेट अभिलाषा तिवारी ने बताया कि उन्होंने जिला विधिक सेवा प्राधिकरण अल्मोड़ा को एक प्रार्थना पत्र इस बालिका के माता-पिता के पहचान सुनिश्चित करने हेतु व डी०एन०ए० टेस्ट(DNA test) करवाने के सम्बन्ध में दिया।


सदस्य सचिव उत्तराखण्ड राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण नैनीताल आर०के० खुलबे के निर्देशन एवं माननीय जिला न्यायाधीश / अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण अल्मोड़ा मलिक मजहर सुल्तान के मार्ग दर्शन पर सिविल जज (सी०डिं०) / सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण अल्मोड़ा रवि शंकर मिश्रा द्वारा मुख्य चिकित्साधिकारी अल्मोड़ा से अनुरोध किया कि बालिका व उक्त दोनो पुरुष व स्त्री का डी०एन०ए० टेस्ट (DNA test) करवा दिया जाय। जिस पर ये तीनों लोगों के सैंपल लिये गये।

सैंपल लिये जाने के उपरान्त जाँच हेतु ये सैंपल विधि विज्ञान प्रयोगशाला देहरादून भेजा जाना था जिसके लिए पुलिस विभाग से एक विशेष वाहक की आवश्कता थी, जिसके लिए सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा श्रीमान वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक से अनुरोध किया गया तथा सैंपल विशेष वाहक द्वारा विधि विज्ञान प्रयोगशाला देहरादून भिजवाया गया। जाँच उपरान्त दावा करने वाले दोनों व्यक्ति बालिका के जैविक माता-पिता पाये गये।


बालिका की माता उसे लेने के लिए स्वयं आयी तथा जिला परिवीक्षा अधिकारी राजीव नयन और बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष रघु तिवारी तथा पदाधिकारियों की उपस्थिति और आदेश के बाद बच्ची को सुपुर्द किए जाने की कार्रवाई की गई।

बाल कल्याण समिति, राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण उत्तराखण्ड नैनीताल, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण अल्मोड़ा, जिला परिवीक्षा कार्यालय अल्मोड़ा तथा पुलिस विभाग के अथक प्रयासों के फलस्वरूप एक बालिका जो बचपन में ही अपने माता-पिता से बिछुड़ गयी थी के माता-पिता की पहचान कर उनकी सुपर्दगी में दिया जाना एक मिसाल है।

जब पहले माता पिता बच्ची को लेने आए पर बच्ची पहचान नहीं पाई

इस बच्ची को उसके माता पिता पूर्व में भी लेने आए तब बालिका उन्हें नहीं पहचान पाई। उसके बाद बच्ची को उन्हें नहीं दिया गया। बाद में जब डीएनए टेस्ट(DNA test) की रिर्पोट उनसे मैच हुई तभी बच्ची को उन्हें सौंपा गया। पता लगा है कि बचपन में ही उसका एक रिष्तेदार उसे घर यानि नेपाल से अपने साथ उठा लाया था। बाद में मासूम को जिला बाल कल्याण समिति ने बरामद किया। बताया जा रहा है कि बच्ची का अपने परिजनों से करीब 14 साल बाद मुलाकात हो रही है। इस बच्ची को उसके माता पिता से मिलाने के लिए नेपाल की सामाजिक संस्था ने भी मदद की थी।