बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम में तैनात पर्वतीय जनपदों से चिकित्सकों को हटाये जाने पर जताई चिंता

उत्तरा न्यूज डेस्क
3 Min Read

अल्मोड़ा-: एनएचएम के पूर्व उपाध्यक्ष बिट्टू कर्नाटक ने राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम में पर्वतीय क्षेत्रों में चिकित्सको की संख्या कम किए जाने पर गहरी नाराजगी जताई है|

new-modern


उन्होंने कहा कि शून्य से 18 वर्ष तक के बच्चों की स्क्रीनिंग कर निःशुल्क इलाज की व्यवस्था है ।

कहा कि वर्ष 2018-19 में उत्तराखण्ड राज्य में हुई स्क्रीनिंग में 33 हजार से अधिक बच्चे बीमार पाये गये । राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम की वार्षिक समीक्षा में यह आंकडा सामने आया है । इन बीमार बच्चों की पहचान कर उन्हें इलाज के लिये हायर सैन्टर रैफर किया जाता है । उत्तराखण्ड सरकार द्वारा स्कूली बच्चों के स्वास्थ्य परीक्षण के लिये तैनात किये गये बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के चिकित्सकों को प्रदेष के पर्वतीय जिलों से कम कर मैदानी जिलों में स्थानान्तरित किये जाने का निर्णय लिया गया है ।

उन्होंने कहा कि बडे ही दुर्भाग्य का विषय है कि अनेकों राज्य आन्दोलनकारियों ने शहादत देकर इस पर्वतीय राज्य का निर्माण किया और वर्तमान में पर्वतीय जनपदों के साथ सौतेला व्यवहार किया जा रहा है । जहां उत्तर प्रदेष में क्षेत्रफल व जनसंख्या के आधार पर नियम बनाये जाते थे वहीं आज इस पर्वतीय राज्य में भी देहरादून के वातानुकूलित कक्षों में विराजमान अधिकारियों द्वारा पर्वतीय जनपदों की अनदेखी व उपेक्षा कर मनमाने ढंग से नियम बनाये जा रहे हैं ।

उन्होंने कहा कि पर्वतीय जनपद अल्मोडा-03,बागेष्वर-01,चमोली-02,चम्पावत-01,पौडी-05,पिथौरागढ-01,रूद्रप्रयाग-01,टेहरी-03 तथा उत्तरकाषी से 02 टीमों को कम करने तथा मैदानी जनपद हरिद्वार में-05,उधमसिंहनगर-03 व देहरादून जनपद में 02 टीमें बढाने के निर्णय लिया गया है । जिससे स्पष्ट होता है कि पर्वतीय जनपदों में रहने वाले लोगों का कोई महत्व इन अधिकारियों के सम्मुख नहीं है ।


कहा कि जहां इन टीमों में दो चिकित्सक,एक फारर्मेसिस्ट व एक स्टाफ नर्स शामिल रहती है वहीं इसका लाभ प्रदेष की युवा पीढी को लगातार मिल रहा था अब मानकों का हवाला देकर अधिकारी खानापूर्ति कर प्रदेष की जनता एवं सरकार को भ्रमित करने का कार्य कर रहे हैं ।

उन्होंने पर्वतीय राज्य के नौनिहालों के भविष्य के साथ किये जा रहे खिलवाड़ को मानवीय आधार पर महत्व देते हुये तत्काल उचित निर्णय लेकर सौतेले व्यवहार से पर्वतीय जनपदों को मुक्त कर जन विरोधी इस निर्णय को रोकने की मांग की है|