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त्रिपुरा की 4 विधानसभा सीटों पर 23 जून को उपचुनाव

Newsdesk Uttranews
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अगरतला, 22 जून (आईएएनएस)। त्रिपुरा में गुरुवार को होने वाले चार विधानसभा क्षेत्रों में राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण उपचुनाव के लिए बुधवार को अंतिम तैयारी चल रही है।

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त्रिपुरा की 60 सदस्यीय विधानसभा के लिए चुनाव होने में अभी करीब आठ महीने की देरी है। उससे पहले हो रहे इस उपचुनाव को काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है और सेमीफाइनल करार दिया जा रहा है। सुचारु ढंग से मतदान के लिए केंद्रीय और राज्य सुरक्षा बलों को तैनात किया गया है।

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इस उपचुनाव में भाजपा, माकपा के नेतृत्व वाला वाम मोर्चा, कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और अन्य स्थानीय दलों ने अपने उम्मीदवार खड़े किए हैं, इसलिए मुकाबले बहुकोणीय होंगे।

सीआरपीसी की धारा 144 के तहत चार विधानसभा क्षेत्रों- अगरतला, टाउन बोरदोवाली, सूरमा, जुबराजनगर, तीन जिलों- पश्चिम त्रिपुरा, उत्तरी त्रिपुरा और धलाई जिले में निषेधाज्ञा लागू की गई है।

कुल 1,89,032 मतदाता भाजपा, माकपा के नेतृत्व वाले वाम मोर्चा, कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और अन्य स्थानीय दलों के 22 उम्मीदवारों के राजनीतिक भाग्य का फैसला करेंगे।

त्रिपुरा की चार विधानसभा सीटों के लिए एक महीने से अधिक समय से चल रहा चुनाव प्रचार मंगलवार को खत्म हो गया। इन चुनावी क्षेत्रों के कुछ इलाकों में हालांकि स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है।

प्रचार अभियान के दौरान कुछ हिंसक घटनाएं हुई थीं। भाजपा के पूर्व मंत्री सुदीप रॉय बर्मन, जो अब कांग्रेस के टिकट पर अगरतला निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ रहे हैं, उस समय घायल हो गए, जब भाजपा कार्यकर्ताओं ने रविवार देर रात उन पर कथित रूप से हमला किया। राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण अगरतला निर्वाचन क्षेत्र से पांच बार विधायक रहे बर्मन का इस समय अगरतला के एक निजी अस्पताल में इलाज चल रहा है।

उपचुनाव का फोकस टाउन बोरदोवाली विधानसभा क्षेत्र है, जहां कांग्रेसी से भाजपा नेता बने 69 वर्षीय मुख्यमंत्री माणिक साहा चुनाव लड़ रहे हैं। उनका मुकाबला पांच उम्मीदवारों से है।

राज्य पार्टी अध्यक्ष और राज्यसभा सदस्य साहा, जिन्होंने बिप्लब कुमार देब के शीर्ष पद से इस्तीफे के एक दिन बाद 15 मई को पदभार ग्रहण किया था, पहली बार चुनाव लड़ रहे हैं।

मुख्यमंत्री के लिए यह उपचुनाव जीतना बहुत जरूरी है, क्योंकि संवैधानिक बाध्यता के तहत उन्हें छह महीने के भीतर विधानसभा का सदस्य बनना है। भाजपा के तीन विधायकों के इस्तीफे और माकपा विधायक रामेंद्र चंद्र देवनाथ के निधन के बाद उपचुनाव कराना जरूरी हो गया था।

तत्कालीन मुख्यमंत्री देब के खिलाफ भाजपा विधायकों के एक वर्ग के बीच खुली नाराजगी के बीच तीन विधायकों – सुदीप रॉय बर्मन (अगरतला), आशीष कुमार साहा (नगर बोरदोवाली) और आशीष दास (सूरमा) ने भाजपा और विधानसभा छोड़ दी थी।

भाजपा के पूर्व मंत्री रॉय बर्मन और साहा इस साल फरवरी में कांग्रेस में शामिल हुए थे, जबकि दास पिछले साल टीएमसी में शामिल हुए थे। दास ने पिछले महीने टीएमसी से भी इस्तीफा दे दिया था।

जुबराजनगर निर्वाचन क्षेत्र से छह बार चुने गए देबनाथ कई बार विधानसभा अध्यक्ष रहे। किडनी फेल होने के कारण 2 फरवरी को कोलकाता में उनका निधन हो गया।

वोटों की गिनती 26 जून को होगी।

–आईएएनएस

एसजीके/एएनएम

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