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पलायन, बर्बाद होते संसाधन, स्वरोजगार व स्थानीय संस्कृति को लेकर ग्राम्य विकास को आगे बढ़ाएगा महाकर्म फाउंडेशन

Newsdesk Uttranews
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पिथौरागढ़। आंतरिक और बाहरी पलायन में उलटफेर कर ग्रामीण विकास को आगे बढ़ाने, पलायन कर चुके लोगों के पैतृक घरों-संसाधनों का विकास कार्यों में बेहतर इस्तेमाल कर विकास कार्य करने और कोरोना के चलते अपने घरों को लौटे लोगों को स्वरोजगार से जोड़ने के सवालों पर महाकर्म फाउंडेशन ट्रस्ट आगे आया है। इसके तहत बीती 31 जुलाई की शाम महाकर्म फाउंडेशन का डिजिटल शुभारंभ भी किया गया, जिसमें जिलाधिकारी पिथौरागढ़ आनंद स्वरूप, देश के प्रसिद्ध वैज्ञानिक प्रो. केआई वासु संस्थापक राष्ट्रीय अध्यक्ष विज्ञान भारती बंगलुरू सहित अनेक प्रतिभागियों का स्वागत किया गया।

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कार्यक्रम का शुभारंभ राजस्थान से डा. आशुतोष पारिक द्वारा मंगलाचरण से करने के बाद डा. विनय कुमार, भौतिक विज्ञानी सऊदी अरब ने स्वदेशी साइंस मूवमेंट ऑॅफ इंडिया के अध्यक्ष विज्ञानी डॉॅ. देवेन्द्र प्रकाश भट्ट स्वागत परिचय के साथ ट्रस्ट संबंधित सामाजिक कार्यों की जानकारी दी। बताया कि किस प्रकार डॉ. भट्ट की वर्ष 2009 में पतंजलि योगपीठ के मुखिया स्वामी रामदेव से सहयोगी मुलाकात हुई जिससे उत्साहित होकर वर्ष 2015 में डॉ. भट्ट की सामाजिक टीम ने 2013 में उत्तराखंड में आई आपदा से ग्रस्त गुप्तकाशी के 2 गांवों के परिवारों को आर्थिक मदद पहुंचाई। फरवरी 2018 में भृगु पीठाधीश्वर गोस्वामी सुशील महाराज, राष्ट्रीय संयोजक भारतीय सर्वधर्म संसद और डॉ. डीपी भट्ट की 4 दिवसीय सद्भावना यात्रा का भी उन्होंने जिक्र किया, जिसमें डा. भट्ट के पिथौरागढ़ स्थित पैतृक गांव में सामाजिक प्रतिनिधिमंडल के साथ सभा का भी आयोजन किया गया। 

  उसके बाद उन्होंने स्वयं के फंड से आठगांव सिलिंग स्थित पैतृक गांव कुमलगांव का जीर्णोद्धार भी पत्नी श्रीमती नीमा भट्ट की निगरानी में गणेश चतुर्थी 2019 के पावन अवसर पर संपन्न हुआ। उनके परिवार के निरंतर प्रयास के तहत प्रो. केआई वासु ने उनके प्रस्तावित गांव के विकास के लिए सीड मनी के रूप में प्रथम वित्तीय सहायता दी। फाउंडेश के डिजिटल शुभारंभ के मौके र डॉ. भट्ट ने अपने वक्तव्य में जिलाधिकारी आनंद स्वरूप व उनके स्टाफ का आभार जताते हुए कहा कि कैसे उन्होंने डिजिटल मोड के तहत उन्हें संबंधित ग्राम्य विकास के मुद्दे पर त्वरित जवाब दिया, जिसके फलस्वरूप कोरोना संक्रमण के बीच बिना पिथौरागढ़ आए उन्होंने गौतम बुद्ध नगर से ही महाकर्म फाउंडेशन का अखिल भारतीय स्तर पर 13 जुलाई को पंजीकरण करवाया। जिसका मुख्य कार्यालय ग्रेटर नोएडा रखा गया। 

  इस मौके पर डा.भट्ट ने ट्रस्ट के उद्देश्यों पर प्रकाश डालते हुए पलायन, ग्रामीण विकास, खंडहर पड़ चुके पैतृक घरों, जमीन अन्य संसाधनों का विकास के लिए बेहतर उपयोग करने पर बात करते हुए इसमें सबको आगे आने पर बल दिया। साथ ही उन्होंने कहा कि कोरोना संकट काल में पलायन कर चुके जरुरतमंदों की पहचान ज्यादा सहज हो सकती है और उन्हें स्वरोजगार के लिए प्रेरित किया जा सकता है। कहा कि बड़ी आबादी वाले ग्रामीण इलाकों यानि कलस्टर ऑफ विलेजेज के विकास की तरफ सरकार का ध्यान आकर्षित करना, कृषि प्रविधि, प्राथमिक शिक्षा से लेकर स्वास्थ्य व आध्यात्मिक विषयों पर युवाओं, किसानों, कारीगरों, ग्रास रूट अन्वेषकों के लिए जागरूकता अभियान, वर्कशॉप, सेमिनार, ट्रेनिंग का आयोजन फाउंडेशन के माध्यम से किया जा सकता है। साथ ही ऐसे इलाकों में योग्य और मेहनती लोगों को उनके स्थानीय उत्पादों के लिए प्रोत्साहन व पुरस्कृत करने जिससे अंतर्राज्यीय और वैश्विक निर्यात में उन्हें सफलता मिले, इसके लिए ट्रस्ट उनके साथ चलेगा।
  इसके अलावा पूरे विश्व के पहाड़ी-क्षेत्रीय भारतीय समाज व पीढ़ी को उन्हीं के मान, कृत्य व सहयोग के जरिए उनकी जड़ों से जोड़ने के लिए डा. भट्ट ने स्वभाषा-मातृभाषा के बहुतायत प्रयोग व विकास पर जोर दिया। बताया कि पहाड़ी-क्षेत्रीय भाषाओं के वाणी विज्ञान का पूरे विश्व में प्रचार प्रसार उनका उद्देश्य होगा। शिक्षा के प्राथमिक स्तर पर रचनात्मक मस्तिष्क के विकास में उन्हीं की मातृभाषा या हिंदी के प्रयोग पर भी ट्रस्ट काम कर सकता है। डा. भट्ट ने बताया कि उनका इस दिशा में पिछले 25 वर्षों का अनुभव है और आज की नई शिक्षा नीति भी ऐसा करने को प्रेरित करती है। धार्मिक व सामाजिक विसंगतियों के कुछ ज्वलंत उदाहरण भी उन्होंने रखे और कहा  कि कम से कम अंधविश्वास के मामले जिससे समाज और उसके स्वास्थ्य का काफी नुकसान हो रहा है, उनके समाधान के लिए सरकारों व राजनैतिक दलों पर ही निर्भर नहीं रह सकते हैं। इसके लिए मिलकर आगे आना होगा। इस दौरान ट्रस्ट के पिथौरागढ़ में कुमलगांव स्थित पैतृक कुंती भवन उप कार्यालय का शुभारंभ किया गया। विज्ञान भारती दिल्ली के महासचिव रोशन अग्रवाल ने अंत में सभी अतिथियों व प्रतिभागियों का धन्यवाद ज्ञापित किया।