लोक गायक प्रहलाद मेहरा का निधन,हल्द्वानी के कृष्णा अस्पताल में ली अंतिम सांस

Newsdesk Uttranews
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ओ हिमा जाग,पहाड़क चेली ले — कभे नी खाए द्वि रोटी सुख ले जैसे गीतो को स्वर देने वाले प्रसिद्व लोक गायक प्रहलाद मेहरा का निधन हो गया है। हल्द्वानी के कृष्णा अस्पताल में दिल का दौरा पड़ने से उनका निधन हो गया।वह 53 वर्ष के थे।

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प्रहलाद मेहरा का जन्म सीमांत जनपद पिथौरागढ़ के मुनस्यारी में हुआ था। गाने बजाने का शौक उन्हें बचपन से ही था और इसी शौक को उन्होंने अपना कैरियर बनाया। 1989 के साल उन्हें आकाशवाणी के ए ग्रेड कलाकार का दर्जा दिया गया।


प्रहलाद मेहरा ने 150 से ज्यादा ​गानों को अपनी आवाज दी थी। पहाड़क चेली ले — कभे नी खाए द्वि रोटी सुख ले,चांदी बटना दाज्यू,मेरी मधुली,का छ तेरो जलेबी को डाब,ओ हिमा जाग,कुर्ती कॉलर मा,एजा मेरा दानपुरा जैसे गीत शामिल है। उनके निधन पर लोक कलाकारों ने गहरा दुख जताया है।

चार जनवरी 1971 को पिथौरागढ़ जिले के मुनस्यारी तहसील के चामी भेंसकोट में हेम सिंह और लाली देवी के घर में उनका जन्म हुआ था।प्रहलाद मेहरा को बचपन से ही गायन के साथ ही वाद्य यंत्र बजाने का शौक भी था। वह सुप्रसिद्व लोक गायक गोपाल बाबू गोस्वामी से बेहद प्रभावित थे और यह उनका ही असर था कि वह ताउम्र लोक संगीत को समर्पित रहे। उनका गाये गीत हाड़क चेली ले — कभे नी खाए द्वि रोटी सुख ले में पहाड़ी की नारी की व्यथा को बताया गया है।