shishu-mandir

अल्मोड़ा में महिलाओं ने फल,फूल और पत्ती से सीखा प्राकृतिक रंग(natural color) बनाना

Newsdesk Uttranews
3 Min Read

new-modern
gyan-vigyan

जीबी पंत पर्यावरण संस्थान की ओर से दिया गया प्राकृतिक रंग(natural color) बनाने का प्रशिक्षण

saraswati-bal-vidya-niketan

अल्मोड़ा:05 मार्च— जीबी पंत राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण एवं विकास संस्थान कोसी कटारमल की ओर से ग्रामीण महिलाओं को फल,फूलों एवं ​प​त्तियों से प्राकृतिक रंग(natural color) बनाना सिखाया गया।

natural color

see it also

संस्थान के ग्रामीण तकनीकी परिसर में हिमालयी राज्यों में गुणवत्तापूर्ण जीवन वृद्धि हेतु महिला उद्यमिता एवं सशक्तिकरण पर क्षमता विकास के अन्तर्गत 6 गांवों (ज्योली, मटेला, ग्वालाकोट, भ्योगाड़, सकनियाकोट, खत्याड़ी सकार) के 36 प्रतिभागियों द्वारा होली के लिए प्राकृतिक रंग बनाने, बाजार से लिंक बनाने, फूलों की खेती, उच्च गुणवत्ता व उच्च मूल्य की सब्जियों का उत्पादन तथा नर्सरी प्रबंधन का प्रशिक्षण लिया।

natural color

प्रशिक्षण कार्यक्रम में संस्थान की वैज्ञानिक डाॅ0 पारोमिता घोष द्वारा महिलाओं को उद्यमिता से जुड़ने के लिए समूह की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि समूह के होने से बाजार से जुड़ाव में आसानी होती है।

see it also

साथ ही हमें अपने उत्पाद को बाजार में ले जाने के लिए गुणवत्ता को ध्यान में रखने की आवश्यकता होती है। जिसके लिए जैविक उत्पादन का प्रमाण पत्र लेना चाहिए, जिससे उत्पाद को बेचने में आसानी होती है।

see it also

संस्थान की वैज्ञानिक व कार्यक्रम संयोजक डाॅ0 शैलजा पुनेठा द्वारा प्रतिभागियों को नर्सरी प्रबंधन के तरीके बताये, जिससे महिलाओं व महिला समूह द्वारा नर्सरी बनाकर पौध विक्रय से ज्यादा मुनाफा कमाया जा सकता है और उद्यमिता का विकास किया जा सकता है। साथ ही उन्होंने बताया कि उच्च मूल्य की सब्जियों की नर्सरी व खेती करने से अधिक फायदा लिया जा सकता है।

केवीके मटेला के डाॅ0 राकेश मेर द्वारा प्रतिभागियों को फूलों की खेती से आजीविका बढ़ाने का प्रशिक्षण दिया। कहा कि फूलों से अलग-अलग उत्पाद जैसे रंग बनाना, सुगंध बनाना आदि बनाये जा सकते हैं। इस प्रकार उनका मूल्य संवर्द्धन कर आजीविका अर्जन किया जा सकता है।

प्राकृतिक उत्पाद का बाजार में बढती मांग को देखते हुए दीप्ति भोजक व मुकेश देवराड़ी द्वारा प्रतिभागियों को होली के लिए प्राकृतिक रंगों को बनाने का प्रशिक्षण दिया।

जिसमें यह बताया कि अपने आस-पास में होने वाले सब्जियों, फलों, फूलों, पत्तियों आदि का उपयोग कर प्राकृतिक रंग बनाये जा सकते हैं और हम उनका उपयोग कर उससे आजीविका को जोड़ सकते हैं।

कार्यक्रम में संस्थान के महेश राम, संजीव कुमार, गजेन्द्र, जगदीश, मनोज बिष्ट, महिला हाट के राजेन्द्र काण्डपाल द्वारा सहयोग दिया गया।