इगास के बहाने लंबी लकीर खींचने की कोशिश की सीएम धामी ने

Newsdesk Uttranews
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बीते दिवस इगास पर्व पर राजकीय अवकाश घोषित कर मुख्यमंत्री धामी ने लंबी लकीर खीचने का प्रयास किया हैं। सीएम धामी के इस कदम से छठ पर्व और करवा चौथ पर अवकाश करने पर आलोचको के मुंह बंद हो गये हैं। लोक पर्व इगास पर अवकाश घोषित किये जाने को लेकर सोशल मीडिया पर अभियान भी चलाया जा रहा था।

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इगास पर अवकाश घोषित कर मुख्यमंत्री ने आलोचको को तो जबाब दिया ही साथ ही पूर्व मुख्यमंत्रियो को भी अनजाने में ही इस मुद्दे पर कटघरे में खड़ा कर दिया है। पहले मुख्यमंत्री ने सोशल मीडिया पर इगास के मौके पर अवकाश ​की घो​षणा की ,इगास के दिन पर पहले से ही रविवार का अवकाश पड़ रहा था और सोशल ​मीडिया पर इस निर्णय को लेकर सवाल खड़े हो रहे थे कि इगास तो इस बार रविवार 14 नवंबर को पड़ रहा है और इस दिन पहले से ही अवकाश है,लेकिन बीते दिवस इसका अवकाश सोमवार को घोषित कर सीएम ने चुनाव से ठीक पहले एक रणनीतिक बढ़त लेने का प्रयास किया।

धामी सरकार के इगास पर अवकाश घोषित करने के बाद भविष्य में हर बार इगास पर छुट्टी का आदेश जारी नहीं करना पड़ेगा। मुख्यमंत्री धामी ने अपने विशेषाधिकार का प्रयोग करते हुए रविवार को पड़ रहे इगास पर्व की छुट्टी सोमवार को स्वीकृत की है,जिसे लोग अपने पैतृक गाँव जाकर उल्लास के साथ बूढ़ी दिवाली मना सकें।


उत्तराखण्ड के गठन के बाद इगास को प्रचारित प्रसारित करने और लोकपर्व का संरक्षण और संवर्धन किये जाने की मांग लगातार उठती रही है। लेकिन इससे पूर्व तक रहे सभी मुख्यमंत्री इस मामले में मौन साधे रहे। अब इस मामले में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मजबूत इच्छाशक्ति दिखाते हुए इगास पर अवकाश किये जाने निर्णय लिया है।


इगास पर अवकाश किये जाने के निर्णय पर केंद्रीय रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट और राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी ने उनकी सराहना की है। सोशल मीडिया में भी लोग मुख्यमंत्री धामी के इस कदम का स्वागत कर रहे हैं।

400 साल पुरानी है इगास मानने की परंपरा

पौराणिक मान्यता के अनुसार करीब 400 साल पहले बीर माधो सिंह भंडारी के नेतृत्व में टिहरी, उत्तरकाशी, जौनसार और श्रीनगर समेत अन्य क्षेत्रों से योद्वाओ को लेकर एक सेना तैयार की गई थी । इसी सेना ने तिब्बत पर हमला बोलते हुए तिब्बत सीमा पर मुनारें गाड़ दी थी। बताया जाता है कि इस दौरान बर्फ से पूरे रास्ते बंद हो गए थे और समूचे गढ़वाल में उस साल दीवाली नहीं मनाई गई।

लेकिन दीवाली के ग्यारह दिन बाद जब माधो सिंह भंडायी यह युद्ध जीत कर वापस गढ़वाल पहुंचे तब पूरे इलाक़े के लोगों ने उनके स्वागत में भव्य रूप से दीवाली मनाई थी। इसके बाद से पूरे गढ़वाल में कार्तिक माह की एकादशी को इगास बग्वाल के रूप में मनाया जाता हैं।