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राज्यों में पीएसयू की जमीन बेचने के केंद्र सरकार के कदम पर उठाए सवाल

Newsdesk Uttranews
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हैदराबाद, 19 जून 2022- तेलंगाना के उद्योग और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री के.टी. रामा राव ने सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (पीएसयू) के साथ-साथ राज्य सरकार द्वारा आवंटित भूमि को बेचने के केंद्र के कदम पर सवाल उठाया है।

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केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण को लिखे एक पत्र में उन्होंने केंद्र सरकार से योजनाओं पर पुनर्विचार करने की अपील की। उन्होंने कहा कि अगर केंद्र इसमें विफल रहता है, तब तेलंगाना सरकार इस कदम को मजबूती से रोकेगी।

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केटीआर ने कहा कि भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार तेलंगाना में विभिन्न सार्वजनिक उपक्रमों को आवंटित भूमि सहित संपत्ति बेचने की योजना बना रही है।

केंद्र सरकार को संपत्तियों को बेचने के बजाय पीएसयू को पुनर्जीवित करने और मजबूत करने की संभावनाएं तलाशनी चाहिए। उन्होंने कहा, अगर यह संभव नहीं है तो राज्य सरकार को ऐसी जमीनों पर नई औद्योगिक इकाइयां स्थापित करने का मौका दिया जाना चाहिए।

केटीआर ने कहा कि केंद्र सरकार की सार्वजनिक उपक्रमों को बेचने की योजना राज्य सरकार के अधिकारों का मजाक बनाने के अलावा और कुछ नहीं है।

उन्होंने कहा कि तमिलनाडु सहित कई राज्य अपने-अपने क्षेत्रों में स्थापित सार्वजनिक उपक्रमों को बेचने के केंद्र सरकार के कदमों का कड़ा विरोध कर रहे हैं।

विनिवेश की आड़ में सार्वजनिक उपक्रमों को बेचने की केंद्र सरकार की आलोचना करते हुए उन्होंने जानना चाहा कि मोदी सरकार किन प्रावधानों या अधिकारों के तहत विभिन्न राज्यों में स्थापित सार्वजनिक उपक्रमों की बिक्री पर विचार कर रही है।

उन्होंने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि मोदी सरकार ने बेरोजगार युवाओं को रोजगार के अवसर नहीं दिए। केटीआर ने कहा कि यदि सार्वजनिक उपक्रमों को फिर से खोला गया, तो वे हजारों लोगों को प्रत्यक्ष रोजगार प्रदान करेंगे और अप्रत्यक्ष रूप से लाखों लोगों को लाभ होगा।

उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार अपनी विनिवेश योजनाओं के तहत हिंदुस्तान केबल्स लिमिटेड, हिंदुस्तान फ्लोरोकार्बन लिमिटेड, इंडियन ड्रग्स एंड फार्मास्युटिकल्स लिमिटेड, एचएमटी, सीमेंट कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (सीसीआई) और तेलंगाना में अध्यादेश कारखानों को बेच रही है।

राज्य सरकार ने इन छह कंपनियों को करीब 7,200 एकड़ जमीन आवंटित की थी। उन्होंने कहा कि इन जमीनों का मूल्य सरकारी दरों के अनुसार करीब 5,000 करोड़ रुपये होगा और खुले बाजार की कीमतों के अनुसार, मूल्य 40,000 करोड़ रुपये से अधिक हो सकता है।

राज्य सरकार ने इन कंपनियों को मामूली कीमतों पर जमीन आवंटित की थी और कुछ मामलों में, उन्हें मुफ्त में देने की पेशकश की गई, क्योंकि इन इकाइयों की स्थापना से स्थानीय लोगों को रोजगार मिलेगा, साथ ही औद्योगिक विकास की सुविधा भी होगी।

उन्होंने याद किया कि जब तेलंगाना सरकार ने केंद्र सरकार से हैदराबाद में परिवहन में सुधार के लिए स्काईवे के निर्माण के लिए भूमि आवंटित करने का आग्रह किया, तो केंद्र ने बाजार मूल्य के अनुसार मुआवजे की मांग की थी।