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दुर्दशा : सरंक्षण की बाट जोहता अक्क्लधारा

Newsdesk Uttranews
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लोहाघाट में स्थित है अक्क्लधारा

ललित मोहन गहतोड़ी

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चम्पावत। राष्ट्रीय राजमार्ग स्थित लोहाघाट का ऐतिहासिक और पारंपरिक स्रोत अक्कलधारा संरक्षण के अभाव में बदहाल है। नगर सहित राहगीरों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध करा रहे इस धारे के मुख्य मुख्य  स्रोत को न छेड़ते हुए इसके आसपास एक टैंक बनाये जाने को लेकर स्थानीय युवक लंबे समय से मांग कर रहे हैं। यदा कदा सोशल मीडिया में इस बात को लेकर अपनी पोस्ट से भी जागरूक करते रहे हैं।
दरअसल लोहाघाट स्थित अक्कलधारे का स्वयं अपना एक अलग इतिहास रहा है। भीषण गर्मी के वाबजूद इसमें पानी कम तो हुआ पर बंद कभी नहीं। एक तरह से अविरल बहाव के चलते लोहावती नदी के पानी को स्वच्छ रखने में यह धारे का बहता पानी प्रमुख रूप से सहायक रहा है। बताते चलें चम्पावत के लोहाघाट नगर में राजमार्ग स्थित नर्सरी के पास कालांतर से अक्कलधारा मौजूद है। स्थानीय युवाओं का कहना है कि नगर के अलावा राहगीरों के लिए यह धारा पेयजल उपलब्ध करा रहा है। कहना है कि इस इस धारे में लगातार पानी भरते लोगों की भीड़ देखी जा सकती है। इसके अलावा राहगीरों की प्यास बुझाने के लिए भी यह धारा किसी वरदान से कम नहीं। लोग यहा धारे के स्रोत को न छेड़ते हुए इससे कुछ दूरी पर यदि एक बड़ा टैंक बनाने की मांग कर रहे है इस टैंक के बनने से कुठ हद तक नगर की पेयजल समस्या से निजात पाई जा सकती है। इस व्यवस्था को लेकर स्थानीय युवाओं की आशंका वाजिब है क्योंकि नगर में जनसंख्या दबाव बढ़ने के साथ ही अक्कलधारे में भी पानी भरने वालों की लाइन बढ़ती जा रही है।
अक्कल में सहायक अक्कलधारे का पानी
कहा जाता है कि लोहाघाट के अक्कलधारे का पानी पीने से अक्कल आती है। सचमुच इस धारे का पानी इतना मीठा है, जो कोई एक बार इसे पी ले बार-बार पीने का मन करे। दरअसल इस धारे का स्रोत ऊपरी हिस्से में स्थित नर्सरी में है। जहां बॉज, बुरास और काफल जैसे पत्तीदार पौंधों की एक बड़ी श्रृंखला है। इन पेड़ों की जड़ों से निकलकर आये शुद्ध जल का इस किंवदंती के चलते अपना एक अलग इतिहास रहा है।