मां की ममता हार गई

Newsdesk Uttranews
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लिख पाना जरा मुश्किल है। मां तीन माह की बच्ची को सड़क किनारे छोड़ गई। कहना होगा कि बच्ची मां को प्यारी थी। रूप सजा था, कपड़े सुंदर, माथे पर काला टीका था। झूले में दूध की बोतल थी, थैले में कुछ दवा और कपड़े थे।
…सड़क किनारे झाड़ी के पास बच्ची को एक झूले पर रखा गया था। सड़क का यह किनारा दुकान के ठीक सामने था। अल सुबह जब झाड़ी से रोने की आवाज आई तो एक महिला देखने को पहुंची। झूले में बच्ची को देख वह गोद में उठा लाई और परिवार को बताया। पति ने इसकी सूचना पुलिस को दी।
…बात है उत्तराखंड के ऊधमसिंह नगर में यूपी सीमा से सटे खटीमा क्षेत्र की। यहां कलेक्टर फार्म में सुबह करीब पांच बजे झूले में बच्ची के रोने की आवाज सुनकर दुकान स्वामी मुख्तार अहमद की पत्नी बच्ची को गोद में उठा लाई। बाद में पुलिस को इसकी सूचना दी। बच्ची को गोद लेने के लिए कई लोग पुलिस के पास पहुंच चुके हैं। अब बच्ची को कोई परिवार ले लेगा।
…बच्चों के साथ बुरी घटनाएं आम हैं। कोई मां बच्चों के साथ जान देती है, कोई उसे अपनी किस्मत पर छोड़ देती है। पिता इन घटनओं में कभी भी सामने नहीं दिखता। अखबारों में कल इसे कलयुगी मां, बुजदिल या कुछ और भी बुरा कहा जाएगा, असहाय बनाने वाली यह व्यवस्था ममता की हत्यारी है। यहां किसी की सुरक्षा की कोई गारंटी नहीं। कोई भूख से मरे, कोई बीमारी से। सड़क और पानी से मरने वालों की सीमा नहीं।