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जाने कौन है हरियाणा के नए सीएम नायब सिंह सैनी पहले थे कंप्यूटर ऑपरेटर 109 दिन में बदली किस्मत

Smriti Nigam
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किसान परिवार से ताल्लुक रखने वाले नायब सिंह सैनी का जन्म अंबाला के गांव मिर्जापुर माजरा में 25 जनवरी 1970 को हुआ था। उन्होंने मेरठ के चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय से एलएलबी की पढ़ाई की। विधायक के बाद संसद और अब सीएम बनने का उन्होंने इतिहास रच दिया है।

109 दिन में कुरुक्षेत्र के सांसद नायब सिंह सैनी बेहद खास बन गए हैं।मनोहर लाल के विश्वासपात्र सैनी को 27 अक्टूबर 2023 को भाजपा ने ओमप्रकाश धनखड़ की जगह प्रदेश अध्यक्ष की बड़ी जिम्मेदारी सौंपी थी। उनकी सादगी, साफ छवि, लो प्रोफाइल ओबीसी नेता और हाईकमान व संघ में पकड़ के चलते मुख्यमंत्री बनाया गया है।

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नायब सिंह सैनी ने अपना राजनीतिक कार्य 1996 में शुरू किया था। साल 2000 तक उन्होंने कामकाज संभाल लिया था। साल 2002 में उनका अंबाला में युवा विंग का जिला महासचिव बनाया गया और 2005 में अंबाला का जिला अध्यक्ष भी उन्हें चुना गया। 2009 में वह हरियाणा में भाजपा किसान मोर्चा के राज्य महासचिव बने साल 2012 में दोबारा अंबाला से भाजपा का जिला अध्यक्ष पद उन्हें सौंपा गया।

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नायब सिंह 2014 में पहली बार विधायक बने और 2019 में सांसद बने 2014 में पहली बार अंबाला जिले की नारायणगढ़ सीट के यह विधायक बने। 2016 में इनको हरियाणा सरकार में श्रम रोजगार मंत्री बनाया गया 2019 लोकसभा चुनाव में उन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी और कांग्रेस प्रत्याशी निर्मल सिंह को 3 लाख 84 हजार 591 वोट से हराकर विजय हासिल की थी। इस चुनाव में नायब सैनी को 6 लाख 88 हजार 629 वोट मिले थे, वहीं निर्मल सिंह को सिर्फ 3 लाख 4 हजार 38 वोट मिले थे।

नायब सिंह सैनी कभी भारतीय जनता पार्टी में मनोहर लाल के साथ संगठन में काम करते हुए कंप्यूटर ऑपरेटर थे। मनोहर लाल भाजपा में संगठन मंत्री थे तब अपने कार्यकाल के कर्मचारियों में सबसे अधिक भरोसा नायब सिंह पर करते थे। कई साल तक भाजपा मुख्यालय में काम करने वाले सैनी ने कुछ समय संगठन की राजनीति को छोड़कर अंबाला जिले के नारायणगढ़ में केबल ऑपरेटर के रूप में भी काम किया।

इस बीच पार्टी ने पिछले साल 27 अक्तूबर को उन्हें भाजपा हरियाणा का प्रदेशाध्यक्ष बनाया। इस पद पर काम करते हुए उन्हें छह माह पूरे भी नहीं हुए थे कि उन्हें मुख्यमंत्री का पद मिल गया।नायब सिंह का यहां तक का सफर इतना आसान नहीं था। 9:30 साल बाद अचानक से मनोहर लाल का चेहरा बदलने से सैनी को कई दिक्कतों का सामना करना पड़ा।

सबसे बड़ी चुनौती तो मौजूदा लोकसभा चुनाव है और इसके बाद हरियाणा में विधानसभा चुनाव भी है।भाजपा ने हरियाणा में सभी 10 लोकसभा सिम जीतने का लक्ष्य रखा है। सरकार चलाने का अनुभव नहीं होना भी एक बड़ी चुनौती है। सैनी समुदाय की आबादी करीब आठ फीसदी है। यह समुदाय हरियाणा के कई उत्तरी जिलों के अलावा अंबाला, कुरुक्षेत्र और हिसार सहित कुछ अन्य जिलों में भी प्रभाव रखता है।