चारधाम यात्रा के साथ ट्रैकिंग का रोमांच: चेनाप घाटी की खूबसूरती में खो जाएं

उत्तरा न्यूज टीम
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उत्तराखंड: चारधाम यात्रा पर आने वाले श्रद्धालुओं और ट्रैकिंग के शौकीनों के लिए चेनाप घाटी एक बेहतरीन विकल्प है। यह घाटी अपनी जैव विविधता, मनमोहक प्राकृतिक सौंदर्य और फूलों की रंग-बिरंगी छटा के लिए प्रसिद्ध है, जिसे ‘दूसरी फूलों की घाटी’ भी कहा जाता है।

गौरतलब हो, जोशीमठ से लगभग 28 किलोमीटर दूर और समुद्र तल से 13,000 फीट की ऊँचाई पर स्थित चेनाप घाटी में 300 से अधिक प्रजातियों के फूल खिलते हैं। ब्रह्मकमल, फेनकमल, एनीमोन, मार्श मेरीगोल्ड, स्नेक लिली, कोबरा लिली जैसे दुर्लभ और खूबसूरत फूल इस घाटी की शोभा बढ़ाते हैं। हर 15 दिन में फूलों के रंग बदलने से घाटी का नज़ारा और भी मनमोहक हो जाता है।

चेनाप घाटी ट्रैकिंग के शौकीनों के लिए स्वर्ग से कम नहीं है। मखमली बुग्यालों, शानदार ढलानों और गहरी घाटियों से होकर गुजरने वाला ट्रैक रोमांच और खूबसूरती का अनूठा संगम है। रास्ते में हिमालय की ऊँची चोटियों के दर्शन और दुर्लभ वन्यजीवों की मौजूदगी इस यात्रा को और भी यादगार बना देती है।

बता दें, चेनाप घाटी पहुँचने के लिए ऋषिकेश से जोशीमठ बाजार तक लगभग 270 किलोमीटर की दूरी तय करनी होती है। जोशीमठ से मारवाड़ी पुल होते हुए थैंग गाँव तक लगभग 10 किलोमीटर की दूरी वाहन से तय की जा सकती है। इसके बाद लगभग 16 किलोमीटर का पैदल ट्रैक शुरू होता है। ट्रैकिंग में लगभग 3-4 दिन लगते हैं। थैंग गाँव में होमस्टे और धारखर्क पड़ाव में टेंट की सुविधा उपलब्ध है।

चेनाप घाटी में जुलाई से सितंबर तक फूल खिलते हैं, इसलिए यह समय घाटी की यात्रा के लिए सबसे अच्छा माना जाता है। हालाँकि, अन्य समय भी घाटी की प्राकृतिक सुंदरता का आनंद लिया जा सकता है। चारधाम यात्रा के साथ चेनाप घाटी की सैर आपके सफर को और भी यादगार बना देगी। तो देर किस बात की, बैग पैक करें और निकल पड़ें प्रकृति की इस अनोखी सौगात को निहारने।