जरूरतमंदों की मदद के लिये हंसता बचपन (Hasta Bachpan) आया सामने

Newsdesk Uttranews
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अल्मोड़ा। कोरोना महामारी के कारण 25 मार्च से लॉक डाउन किया गया है। इसकी सबसे ज्यादा मार मजदूर तबके पर पड़ रही है। सुबह दिन भर मेहनत मजदूरी कर गुजर बसर करना वाला तबका अब हर तरफ से निराश हो चला है।

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कुछ यही कहानी हवालबाग विकासखण्ड के घनेली गांव की है। यहां पर भी मजदूर तबका दो जून के निवाले के लिये संघर्ष कर रहा है। ऐसे में मजदूर तबके की मदद करने के लिये हंसता बचपन (Hasta Bachpan) आगे आया है।

हंसता बचपन (Hasta Bachpan) ने नगर से सटे हवालबाग विकासखण्ड के घनेली गांव में 15 परिवारों को राशन की किट वितरित की। इस किट में पांच किलो आटा, 3 किलो चावल, 1 किलो तेल, 1 किलो दाल, 1 किलो चीनी, मसाले आदि शामिल है।


हंसता बचपन (Hasta Bachpan)के अजय आर्या ने कहा है जरूरत पड़ेगी तो उनकी संस्था आगे भी इन लोगों को मदद करेगी। हंसता बचपन की ओर से नन्हे मुन्ने बच्चों और बच्चों को पढ़ाने में लगे शिक्षक बबीता आर्या, संगीता आर्या और निशा आर्या ने जरूरतमंदों को यह सामग्री वितरित की।

पॉलीथीन के कारण हो रहे नुकसान को देखते हुए अजय आर्या ने हल्द्वानी से अल्मोड़ा आकर नान वूवेन फ्रेबिक बैग का प्लांट A Print Industry अल्मोड़ा में शुरू किया। और इसके बाद जब उन्होने देखा कि गांव में बच्चे पढ़ाई पढ़ाई में रूचि नही लेते है। और फिर गांव के युवाओं ने बच्चों को पढ़ाई में मदद के लिये शाम 4 बजे से 6 बजे तक पढ़ाने का कार्य शुरू किया। बाद में धीरे धीरे बच्चों को कंप्यूटर सिखाना भी शुरू किया। और गांव की अन्य गतिविधियों में भी हंसता बचपन (Hasta Bachpan) अपनी जिम्मेदारी ​का निर्वहन कर रहा है।ए प्रिंट इडंस्ट्री अब कोरोना से बचाव के लिये मॉस्क का उत्पादन भी शुरू कर रही है।

हंसता बचपन (Hasta Bachpan)के बारे में बताते हुए अजय आर्या ने बताया कि वर्ष 2017 में घनेली गांव के कुछ युवाओं ने नन्हे मुन्ने बच्चों को पढ़ाने का कार्य शुरू किया और आज गांव में बच्चों को पढ़ाई के साथ ही कंप्यूटर की शिक्षा भी दी जा रही है। हंसता बचपन के तहत शाम को 4 बजे से 6 बजे तक आंगनबाड़ी से लेकर दसवी कक्षा तक के बच्चों को उनके विषय से संबधित शिक्षा दी जाती है। और इसके साथ ही गांव में स्वच्छता अभियान के तहत लोगों को गांव को साफ व स्वच्छ रहे के​ प्रति जागरूक किया जाता है।