समाचार एजेंसी शिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, एर्दोगन ने फोन पर नाटो प्रमुख से कहा कि दोनों देशों को स्पष्ट रूप से प्रदर्शित करना चाहिए कि उन्होंने आतंकवाद का समर्थन करना छोड़ दिया है। उन्होंने तुर्की के खिलाफ प्रतिबंध हटा दिए हैं और वे गठबंधन की एकजुटता दिखाने के लिए तैयार हैं।
स्टोल्टेनबर्ग ने तुर्की की अपेक्षाओं को पूरा करने की आवश्यकता पर जोर दिया।
फरवरी में शुरू हुए रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद स्वीडन और फिनलैंड ने औपचारिक रूप से नाटो में शामिल होने के लिए आवेदन किया था।
तुर्की को छोड़कर नाटो के सभी सहयोगियों ने इस आवेदन को स्वीकार किया था।
अंकारा ने कुर्दिस्तान वर्कर्स पार्टी (पीकेके) और अन्य तुर्की विरोधी गैरकानूनी समूहों के साथ स्वीडन और फिनलैंड के संबंधों का हवाला देते हुए नाटो में शामिल होने पर आपत्ति जताई थी।
तुर्की चाहता हैं कि स्वीडन और फिनलैंड से उसे आश्वासन दें कि वे आतंकवाद के लिए राजनीतिक समर्थन की समाप्ति, आतंकवादियों को पहुंचाई जा रही मदद, पीकेके और उसके सीरियाई कुर्द को हथियारों का समर्थन करना बंद कर देगा।
साथ ही तुर्की के खिलाफ दोनों देशों में लगाए गए हथियार प्रतिबंध भी हटा दिए जाएंगे।
–आईएएनएस
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