औली को टक्कर देता हिमालय का छुपा रत्न: थाई टॉप, जहाँ रोमांच और सौंदर्य का है अनूठा संगम

उत्तरा न्यूज टीम
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उत्तराखंड के चमोली जिले में भारत-तिब्बत सीमा पर बसे प्रथम गांव नीति के पास स्थित थाई टॉप एक ऐसा छुपा हुआ रत्न है जो औली को टक्कर देने की क्षमता रखता है। मीलों लंबा बर्फीला ढलान, बर्फ से ढकी चोटियाँ, ठंडी हवाएँ और नीले आसमान में तैरते बादल, थाई टॉप प्रकृति प्रेमियों और साहसिक खेलों के शौकीनों के लिए स्वर्ग से कम नहीं है।

गौरतलब हो, पर्वतारोही और स्कीयर अभिषेक बड़वाल, जो नीति गांव के निवासी हैं, का मानना है कि थाई टॉप का ढलान अंतरराष्ट्रीय स्तर का है और औली से भी बेहतर है। थाई टॉप में अप्रैल और मई के पहले हफ्ते तक बर्फ रहती है, जिससे यहाँ लंबे समय तक स्कीइंग का आनंद लिया जा सकता है। औली के विपरीत, यहाँ स्कीइंग के लिए इनरलाइन परमिट की भी आवश्यकता नहीं होती है।

थाई टॉप से गमसाली, बम्पा और मलारी गांवों के मनोरम दृश्य दिखाई देते हैं। बर्फ से ढकी चोटियाँ, घाटियाँ और जंगल इस जगह की खूबसूरती में चार चाँद लगा देते हैं , अभिषेक बड़वाल सरकार से थाई टॉप को औली की तरह विकसित करने की मांग कर रहे हैं। इससे नीति गांव में पर्यटन और साहसिक खेलों को बढ़ावा मिलेगा और रोजगार के अवसर पैदा होंगे।

बता दें, थाई टॉप जाने के लिए पहले नीति गांव पहुँचना होता है, जो जोशीमठ से लगभग 28 किलोमीटर दूर है। नीति गांव से टिम्मरसैंण महादेव मंदिर के बाईं ओर के रास्ते पर लगभग 400-500 मीटर की दूरी तय करने के बाद थाई टॉप का ढलान दिखाई देता है।

थाई टॉप एक छुपा हुआ खजाना है जो उत्तराखंड के पर्यटन मानचित्र पर अपनी जगह बनाने का हकदार है। यहाँ के प्राकृतिक सौंदर्य और साहसिक खेलों की संभावनाओं को देखते हुए, थाई टॉप को विकसित किया जाना चाहिए ताकि यह जगह पर्यटकों और स्थानीय लोगों के लिए एक वरदान साबित हो सके।