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लचर स्वास्थ्य सेवाओं ने ली एक और गर्भवती महिला की जान

Newsdesk Uttranews
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सोमेश्वर से शंकर गोस्वामी की रिपोर्ट
सोमेश्वर। राजकीय अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र सोमेश्वर में डिलिवरी के बाद एक महिला की मौत हो गई आरोप है कि दो चिकित्सकों की तैनाती के बावजूद अस्पताल में रात्रि में कोई डॉक्टर मौजूद नही था और स्टॉफ नर्स के द्वारा प्रसव कराने के बाद अत्यधिक रक्तस्राव होने और समय पर उपचार नही मिलने से महिला की दर्दनाक मौत हो गई।
 जानकारी के अनुसार शैल गांव की रेनू भाकुनी पत्नी दीपक भाकुनी (22 वर्ष) गुरुवार सुबह प्रसव पीड़ा के कारण अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र सोमेश्वर में आशा के माध्यम से भर्ती हुई और शुक्रवार रात्रि 8.10 बजे उसने स्वस्थ लड़के को जन्म दिया। जब प्रसव के बाद रात्रि 11.30 बजे तक रेनू का रक्तस्राव नही रुका तो अस्पताल कर्मियों ने आनन फानन में उसे अल्मोड़ा जिला अस्पताल के लिए रेफ़र कर दिया लेकिन 8 किमी आगे मनान के समीप रेनू ने दम तोड़ दिया और सरकारी बाद इंतजामी ने नवजात बच्चे से पैदा होते ही माँ की गोद छीन ली।
पिछले वर्ष ही हुई थी रेनू की शादी 
बिजोरिया पच्चीसी गांव की रेनू का विवाह चनौदा न्याय पंचायत के शैल गांव के सैनिक दीपक भाकुनी से पिछले वर्ष हुआ था और पत्नी को प्रसव काल में साहस देने के लिए दीपक भी फ़ौज से छुट्टी लेकर घर आया है। दो दिन तक अस्पताल में रहने और लड़का पैदा होने की खुशियों पर सरकारी बद इंतजामी ने जो ग्रहण लगा दिया उससे दीपक और पूरा परिवार गहरे सदमे में है तथा रेनू की मौत को परिजनों ने अस्पताल की घोर लापरवाही का नतीजा बताते हुए जिम्मेदार कर्मचारियों के खिलाफ अतिशीघ्र कार्यवाही करने की मांग की है।
नही मानी जिला महिला अस्पताल के डॉक्टर की सलाह
रेनू के परिजनों का कहना है कि राजकीय महिला चिकित्सालय अल्मोड़ा में उसकी जाँच इसी माह की गई थी तथा महिला चिकित्सक ने रेनू का प्रसव सिजेरियन विधि से कराने की सलाह दी थी और सभी उपचार के कागज दिखाने के बाद भी सोमेश्वर अस्पताल ने उसे प्रसव से पहले रेफ़र करने के बजाय गलत कट लगने से हुए अत्यधिक रक्तस्राव के बाद हालत बिगड़ने पर अल्मोड़ा रेफ़र किया और रेनू को अल्मोड़ा पहुंचाने से पहले
ही मनान के पास  उसकी मौत हो गई जबकि नवजात बच्चा जीवित है और उसे अन्य महिलाएं अपना दूध पिला रही हैं।

नही मिली 108 की सुविधा
सरकारी ध्वस्त स्वास्थ्य सेवाओं की दयनीय हालत यह है कि अस्पताल में रात्रि में न तो चिकित्सक मौजूद मिलते हैं और न ही मरीजों को हायर सेंटर पहुंचाने के लिए सरकारी एम्बुलेन्स। गत रात्रि अस्पताल कर्मियों ने जब रेनू की जिंदगी को बचाने से हाथ खड़े कर उसे अल्मोड़ा रेफ़र किया तो परिजनों ने 108 एम्बुलेन्स सेवा की गुहार लगाई लेकिन विभाग उन्हें वह भी नही दे सका। आधी रात में किसी निजी वाहन में रेखा को अल्मोड़ा ले जाने को विवश परिजनों को यदि समय पर 108 से हायर सेंटर भेजा जाता तो शायद रेनू को उपचार मिल जाता और उसकी जान बच जाती।