Bageshwar- जैविक खेती के तहत वर्मी कंपोस्ट खाद के निर्माण के लिए कृषि विभाग से करें संपर्क

उत्तरा न्यूज टीम
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बागेश्वर। 27 जुलाई, 2022- जनपद के अंतर्गत खरीफ एवं रबी अभियान के दौरान फसल कटाई के उपरांत फसल अवशेषों को कृषकों द्वारा खेतों में चला जाता है। जिसके कारण भूमि में उपलब्ध खेती हेतु अधिकतर लाभदायक कीट समाप्त हो जाते हैं। साथ ही इसका हमारे पर्यावरण पर विपरीत प्रभाव पड़ता है, जो हमारे स्वास्थ्य के लिए काफी नुकसानदायक है। यदि फसल कटाई के उपरांत फसल अवशेषों को मृदा में गहरी जुताई कर लिया जाए तो इससे मृदा की उर्वरता में वृद्धि होने के फलस्वरूप आगामी फसलों की उपज में अधिक वृद्धि प्राप्त की जा सकती है।

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मुख्य कृषि अधिकारी एसएस वर्मा ने बताया कि क्षेत्र भ्रमण के समय यह देखने में आया है कि कृषकों द्वारा अपने खेत में अधिकतर कच्चे गोबर की खाद प्रयोग में लाई जाती है। बिना पूर्ण रूप से सडी हुई (अपघटित) गोबर की खाद का प्रयोग कुरमुला कीट की प्रारंभिक अवस्था के लिए भोज्य पदार्थ का कार्य करता है। जिस कारण उनकी संख्या में वृद्धि होती है, फलस्वरूप भूमि जनित रोगों एवं कीटों का भूमि में अधिक प्रकोप हो जाता है। जिससे उत्पादन पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। इस समस्या के समाधान के लिए कृषक बंधों वर्मी कंपोस्ट पिट अथवा नाडेप पिटों का निर्माण कर इनमें एक निर्धारित अवधि के अंतर्गत पूर्ण रूप से सडी हुई (अपघटित) वर्मी कंपोस्ट अथवा गोबर खाद प्राप्त कर अपने खतों में उपयोग कर सकते है।

कहा कि गोबर को पूर्ण रूप से सडाने (अपघटित) के लिए कंपोस्ट पिटों मे जैव रसायन ट्राकोडरमा विरडी (2.00 से 2.50 किग्रा0 प्रति पिट) का प्रयोग किया जा सकता है, जो कृषि विभाग में 50 प्रतिशत अनुदान पर उपलब्ध है। उन्होंने बताया कि इससे कृषकों को पोषक तत्वों से भरभूर खाद प्राप्त होने के साथ ही स्वस्थ भारत मिशन के उद्देश्यों की पूर्ति करने में भी कृषकों की सहभागिता में मदद मिलेगी।

मुख्य कृषि अधिकारी ने बताया कि वर्मी कंपोस्ट पिटों अथवा नाडेप पिटों के निर्माण के संबंध में कृषक कृषि विभाग से संपर्क स्थापित कर अनुमन्य राज सहायता प्राप्त कर सकते है।