Discussion on the possibilities of using QPM maize on fish feed developed by VPKAS Institute
अल्मोड़ा, 25 जनवरी 2023— भाकृअनुप के विवेकानन्द पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (VPKAS Institute)अल्मोड़ा एवं भाकृअनुप के ही शीतजल मात्स्यिकी अनुसंधान निदेशालय, भीमताल के मध्य शोध सहयोग की संभावनाओं के मध्ये विचार-मंथन बैठक का आयोजन किया गया।
बैठक का मुख्य उद्देश्य संस्थान द्वारा विकसित क्यू.पी.एम. मक्का को मछली आहार के रूप में उपयोग करने की संभावनाओं पर चर्चा करना था।
इस अवसर पर संस्थान के निदेशक डॉ लक्ष्मी कान्त, ने शीतजल मात्स्यिकी अनुसंधान निदेशालय, भीमताल के निदेशक डाॅ. प्रमोद कुमार पाण्डे तथा विचार मंथन में प्रतिभाग कर रहे अन्य सभी वैज्ञानिकों का स्वागत किया तथा संस्थान की उपलब्धियों विशेष रूप से गुणवत्तायुक्त प्रोटीन मक्का की जानकारी देते हुए मछली के चारे के रूप में क्यू.पी.एम. के उपयोग तथ उनका मछली सुधार में प्रभाव की संभावनाओं पर बल दिया। बैठक का आरंभ आईसीएआर गीत से हुआ। डॉ. प्रमोद कुमार पाण्डे, निदेशक आईसीएआर-डीसीएफआर के साथ-साथ वैज्ञानिक डॉ. बीजू सैम कमलम जे और डॉ. राजेश एम ने अंतर-संस्थागत सहयोग प्रारंभ करने की दिशा में इस पहल को किये जाने हेतु संस्थान का आभार व्यक्त किया। उन्होंने अर्थव्यवस्था में मछली की महत्ता पर बल देते हुए कहा कि संभवतः यह सहयोग एक लम्बा रास्ता तय करेगा। उन्होंने कहा कि हमें यह देखना चाहिए कि क्या मंहगे अवयवों के एक हिस्से को क्यू0पी0एम0 से बदला जा सकता है।
भाकृअनुप-वीपीकेएएस के मक्का प्रजनक डॉ. आर के खुल्बे द्वारा गुणवत्तापूर्ण प्रोटीन मक्का (क्यूपीएम) और मछली आहार के रूप में क्यूपीएम मक्का के उपयोग की संभावनाओं पर एक प्रस्तुति दी। आईसीएआर-डीसीएफआर की ओर से डॉ. बीजू सैम कमलम जे द्वारा रेनबो ट्राउट मछली के पालन और आहार सामग्री के सम्बंध में एक प्रस्तुति दी। दोनों संस्थान के वैज्ञानिकों के बीच खुली चर्चा के बाद, मत्स्य आहार में क्यूपीएम के उपयोग के लिए एक सहयोगी अनुसंधान शुरू करने पर सहमति हुयी। जिसके अंतर्गत प्रारंभिक अध्ययन में आईसीएआर-वीपीकेएएस, अल्मोड़ा डीसीएफआर, भीमताल को अनुमानित और अन्य गुणवत्ता मानकों के साथ 10 किलोग्राम क्यूपीएम बीज प्रदान करेगा। क्यूपीएम सीड पाउडर का उपयोग फिश फीड फॉर्मूलेशन में किया जाएगा और क्यूपीएम फीड कराई गयी फिश का प्रारंभिक फेनोटाइप डीसीएफआर भीमताल द्वारा किया जाएगा। इसके बाद इस दिशा में शोध की अन्य संभावनाओं को तलाशा जाएगा। औपचारिक धन्यवाद प्रस्ताव के साथ बैठक समाप्त हुई। बैठक में आईसीएआर-वीपीकेएएस के सभी प्रभाग प्रमुखों के साथ-साथ डॉ. रमेश सिंह पाल, श्याम नाथ और आईसीएआर-डीसीएफआर के वैज्ञानिक दल ने भाग लिया।