नूपुर शर्मा द्वारा माफी मांगने और पार्टी द्वारा उन्हें छह साल के लिए निलंबित करने के बावजूद मुस्लिम समुदायों का विरोध-प्रदर्शन जारी है।
3 जून को, कानपुर शहर में इस मुद्दे के विरोध में आगजनी, पथराव और हिंसा हुई। कई दंगाइयों को गिरफ्तार किया गया। 10 जून को भारत के अलग-अलग शहरों से हिंसक विरोध प्रदर्शन देखने को मिले।
झारखंड के रांची में हुई हिंसा पर काबू पाने के लिए पुलिस को गोलियां चलानी पड़ीं, जिसमें दो लोगों की मौत हो गई और कई लोग घायल हो गए।
वहीं, उत्तर प्रदेश के कई शहरों में भी हिंसक विरोध प्रदर्शन हुए, जहां लोगों ने पथराव और आगजनी की।
सौ से अधिक दंगाइयों पर मामला दर्ज किया गया है और उन्हें गिरफ्तार किया गया है। योगी सरकार ने दंगाइयों की अवैध संपत्तियों पर बुलडोजर चलाना शुरू कर दिया।
राज्य सरकार ने साफ कर दिया है कि वह किसी भी दंगाई को नहीं बख्शेगी।
सीवोटर ने इस संवेदनशील मुद्दे पर जनता की भावनाओं का आकलन करने के लिए आईएएनएस की ओर से एक राष्ट्रव्यापी सर्वे किया।
यह पूछे जाने पर कि क्या अन्य राज्य सरकारों को दंगाइयों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की आवश्यकता है। 72 प्रतिशत लोगों ने इसका जवाब हां में दिया।
केवल 31 प्रतिशत मुस्लिम लोगों ने इस तर्क से सहमति व्यक्त की, जबकि 83 प्रतिशत उच्च जाति के हिंदुओं ने माना कि दंगाइयों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए।
–आईएएनएस
पीके/एएनएम