कौन कहता है आसमां में सुराख नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारों…इस कहावत को चरितार्थ कर दिखाया एक पिता ने, इस तरह बेटे को बनाया आईएएस

उत्तरा न्यूज डेस्क
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यूपीएससी की परीक्षा देश की सबसे कठिन परीक्षा मानी जाती है। लेकिन उसमें से कुछ उम्मीदवार ही इस परीक्षा में सफलता हासिल कर पाते हैं। ऐसे में आज हम आपको एक ऐसे ही उम्मीदवार आईएएस गोविंद जयसवाल की सफलता भरी कहानी के बारे में बताएंगे, जिनकी यूपीएससी की तैयारी के लिए उनके पिता को घर की पूरी संपत्ति बेचनी पड़ी थी। उनकी स्थिति इतनी खराब हो चुकी थी कि उनके पिता को रिक्शा तक चलाना पड़ा था।

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लेकिन बेटे ने भी घर की स्थिति को भली-भांति समझा और देश की सबसे कठिन यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा को सिर्फ 22 साल की उम्र में अपने पहले ही प्रयास में क्रैक कर डाला और ऑल इंडिया 48वीं रैंक हालिस कर IAS ऑफिसर बन गए। कहा जाता है कि माता पिता अपने बच्चे को सफलता दिलाने के लिए कड़ी मेहनत करते है। आईएएस गोविंद की सफलता पर उनके पिता का महत्वपूर्ण प्रभाव रहा है। गोविंद अपना सपना साकार कर सके इसके लिए उनके पिता नारायण जयसवाल ने हद से ज्यादा मेहनत की।

गोविंद जयसवाल उत्तर प्रदेश के वाराणसी निवासी है वह यहां अपने परिवार संग रहते है। एक समय ऐसा था जब गोविंद के पिता नारायण के पास करीब 35 रिक्शा थे, जिन्हें वह किराये पर देकर चलाया करते थे। लेकिन गोविंद की मां की तबीयत बहुत बिगड़ गई और इलाज के लिए उन्हें अपने 20 रिक्शों को बेचना पड़ा। लेकिन फिर भी उनकी मां बच नहीं पाई। और उनकी 1995 में मृत्यु हो गई। इस बीच, जब गोविंद ने यूपीएससी की तैयारी के लिए 2004 या 2005 में दिल्ली जाकर पढ़ना चाहा, तब उनके पास पर्याप्त पैसे नहीं थे। जिसके लिए उनके पिता ने मेहनत कर बेटे को उसके सपने को पूरा करने की सोची। और उन्होंने अपने बाकी 14 रिक्शे भी बेच दिए।

उनके पास केवल अब एक रिक्शा बच गया था, जिस रिक्शे को उन्होंने खुद चलाना शुरू कर दिया। गोविंद ने भी अपने घर की आर्थिक स्थिति को समझा और पैर में तकलीफ होने के बावजूद उन्होंने ना दिन देखा ना रात देखी और जी तोड़ मेहनत की, और जिसका परिणाम निकला वह साल 2006 में वह यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा पहले प्रयास में क्रैक कर आईएएस बन गए। उनके आईएएस बनने से पिता की मेहनत रंग लाई।