महज 30 वर्ष की अल्पायु में दुनिया की सर्वोच्च चोटी माउंट एवरेस्ट को फतह कर लेने वाली पहली भारतीय महिला बछेंद्री पाल (Bachendri pal) का आज जन्मदिन है। इस विशेष रिपोर्ट में हम आपको उत्तराखंड की बेटी बछेंद्री पाल के जीवन से रूबरू कराएंगे।
दुनिया में अब तक केवल कुछ ही महिलाएं हैं जो यह कारनामा कर पाई है और उन्हीं में से एक है बछेंद्री पाल। बचेंद्री पाल का जन्म 24 मई 1954 को उत्तराखंड के उत्तरकाशी जनपद में हुआ था। स्नातक की शिक्षा पूरी कर लेने के बाद बछेंद्री पाल ने रोजगार की तलाश में B.Ed प्रशिक्षण के लिए आवेदन किया, लेकिन उसके बाद स्कूल में शिक्षिका बनने के बजाय पर्वतारोहण को बतौर करियर चुना। उनके इस निर्णय का परिवार में घोर विरोध हुआ। उन्होंने नेहरू पर्वतारोहण संस्थान में प्रशिक्षण हेतु आवेदन किया तथा महज 28 वर्ष की उम्र में गंगोत्री (6,672 मीटर) को फतह कर लिया। इसके बाद इन्हें बतौर इंस्ट्रक्टर पर्वतारोहण में अपनी पहली नौकरी मिली।
वर्ष 1984 में भारत का चौथा पर्वतारोहण अभियान आरंभ हुआ इस समय तक विश्व में केवल 4 ही ऐसी महिलाएं थी जिन्होंने एवरेस्ट फतह किया था। 23 मई 1984 को 1:00 बजकर 1 मिनट में बछेंद्री पाल माउंट एवरेस्ट फतह करने वाली विश्व की पांचवीं महिला बनी, और यह कीर्तिमान पाने वाली भारत की प्रथम महिला बन गई।
वर्ष 1984 में भारत सरकार द्वारा उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया गया। 1985 में उत्तर प्रदेश के शिक्षा विभाग द्वारा बछेंद्री पाल को स्वर्ण पदक से सम्मानित किया गया। वर्ष 1986 में भारत सरकार ने अपने प्रसिद्ध खेल पुरस्कार अर्जुन पुरस्कार से बछेंद्री पाल को नवाजा। 1994 में नेशनल एडवेंचर अवार्ड भारत सरकार द्वारा सम्मानित तथा उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा वर्ष 1995 में यश भारती पुरस्कार से सम्मानित बछेंद्री पाल को सश 1997 में हेमवती नंदन बहुगुणा विश्वविद्यालय द्वारा पीएचडी की मानद उपाधि से सम्मानित भी किया गया।