प्रकृति और आस्था का अद्भुत संगम हर्षिल घाटी, जहाँ बर्फ से ढकी चोटियाँ करती हैं स्वागत

उत्तरा न्यूज टीम
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उत्तराखंड की हर्षिल घाटी अपने प्राकृतिक सौंदर्य और पौराणिक मंदिरों के लिए विश्व प्रसिद्ध है। गंगोत्री धाम के दर्शन के साथ ही श्रद्धालु हर्षिल घाटी के धराली, हर्षिल, मुखबा और बगोरी के खूबसूरत मंदिरों के दर्शन का भी लाभ उठा सकते हैं। बर्फ से ढकी चोटियाँ, नदियाँ, झरने, देवदार के घने जंगल और आध्यात्मिक वातावरण हर्षिल घाटी को एक अद्वितीय पर्यटन स्थल बनाते हैं।

गौरतलब हो, धराली गांव में स्थित कल्प केदार मंदिर लगभग 5000 साल पुराना है। इसका आधा भाग जमीन के 15 फीट नीचे है। माना जाता है कि यह मंदिर कभी 240 मंदिरों के समूह का हिस्सा था, जो 1803 के भूकंप में नष्ट हो गए थे। हर्षिल में जालंधरी नदी और भागीरथी के संगम पर स्थित लक्ष्मी नारायण मंदिर 105 साल पुराना है। इस संगम को हरि प्रयाग कहा जाता है, जिसका उल्लेख स्कंदपुराण के केदारखंड में मिलता है। बगोरी गांव गांव में रिंगाली देवी और लाल देवता के मंदिरों के साथ ही एक बौद्ध मठ भी स्थित है।

हर्षिल घाटी में बर्फ से ढकी चोटियाँ, नदियाँ, झरने और देवदार के घने जंगल पर्यटकों को मंत्रमुग्ध कर देते हैं। यहाँ का शांत और स्वच्छ वातावरण मन को शांति प्रदान करता है।

बता दे, हर्षिल घाटी में ट्रैकिंग, कैम्पिंग, बर्ड वॉचिंग और फोटोग्राफी जैसी कई गतिविधियाँ की जा सकती हैं। यहाँ के स्थानीय व्यंजनों का स्वाद भी चखा जा सकता है।

हर्षिल घाटी ऋषिकेश से 258 किलोमीटर दूर है। यहाँ सड़क मार्ग से पहुँचा जा सकता है। निकटतम हवाई अड्डा देहरादून में है, जो हर्षिल से 220 किलोमीटर दूर है।हर्षिल घाटी प्रकृति प्रेमियों और आध्यात्मिक साधकों के लिए एक आदर्श स्थान है। यहाँ आकर आप प्रकृति की गोद में सुकून के पल बिता सकते हैं और आस्था की डुबकी लगा सकते हैं।