उत्तराखंड के अल्मोड़ा में स्थित यह क्षेत्र केवल मंदिर ही नहीं आध्यात्म में भी रखता है वैज्ञानिक पहचान,कभी जरूर आएं यहां

Newsdesk Uttranews
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अल्मोड़ा। जिला मुख्यालय के करीब अल्मोड़ा डीनापानी कफड़खान मार्ग में स्थित कसार देवी यूं तो एक गांव का नाम है। लेकिन यह पूरा क्षेत्र कसार देवी मंदिर के कारण प्रसिद्ध है।
यहां स्थित मंदिर दूसरी शताब्दी का है। स्वामी विवेकानन्द 1890 में यहाँ आये थे। इसके अलावा अनेकों पश्चिमी साधक यहाँ आये और रहे।

समुद्रतल से 1917 मीटर ऊंचाई पर स्थित इस क्षेत्र में एक देवी और शिव का मंदिर हैं। दोनों मंदिर जितने धार्मिक दृष्टि से ​पवित्र हैं उतने ही वैज्ञानिक कारणों से भी विश्व पटल पर प्रसिद्ध हैं। यह पूरा क्षेत्र चुंबकीय किरणें क्रैंक रिज के लिये भी प्रसिद्ध है जहाँ 1960 से 70 के दशक के हिप्पी आन्दोलन में बहुत प्रसिद्ध हुआ था। आज भी देशी-विदेशी पर्वतारोही और पर्यटक यहाँ आते रहते हैं।

भागवत पुराण के अनुसार इस स्थान पर देवी कौशकी ने शुंभ निशुंभ का संहार किया था। यह वैज्ञानिक तथ्य भी है कि यह दुनिया में तीन पर्यटक स्थलों ऐसे हैं जहां कुदरत की खूबसूरती के दर्शन तो होते ही हैं, साथ ही मानसिक शांति भी महसूस होती है। ये अद्वितीय और चुंबकीय शक्ति का केंद्र भी हैं। जिसे बैनएलन बैल्ट कहते हैं। वर्तमान में इसे मैग्नेटिक रिंज क्षेत्र या क्रेंक किरणों वाला क्षेत्र भी लोग कह रहे हैं। यहां विवेकानंद ने 1890 में इस क्षेत्र का भ्रमण किया था वहीं वाल्टर इवांश वेंटज जो तिब्बती व बौद्ध धर्म अध्ययन के अग्रणी हैं वह भी यहां रहे। उन्होंने यहां बुक आफ दि डेड का अनुवाद किया। 1930 के दशक में यहां रहस्यमयी सुनीता बाबा (अलफ्रेेड सोनसन) यहां आये और अर्नस्ट हाफमैन की तरह तीन दशकों तक यहां रहे। इसके अलावा एनल गिन्सबर्ग,पीटर आरलोव्स्की भी यहां आए। क्रेंक​ रिज को लोग बोलचाल में हिप्पी हिल के नाम से भी जानते हैं।

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इनमें से एक भारत के उत्तराखंड में अल्मोड़ा स्थिति कसारदेवी शक्तिपीठ है। इन तीनों धर्म स्थलों पर हजारों साल पहले सभ्यताएं बसी थीं। नासा के वैज्ञानिक चुम्बकीय रूप से इन तीनों जगहों के चार्ज होने के कारणों और प्रभावों पर शोध कर रहे हैं।

अब तक हुए इस अध्ययन में पाया गया है कि अल्मोड़ा स्थित कसारदेवी मंदिर और दक्षिण अमेरिका के पेरू स्थित माचू-पिच्चू व इंग्लैंड के स्टोन हेंग में अद्भुत समानताएं हैं।
देवी मंदिर और टॉप में स्थित शिवमंदिर से काफी सुरम्य दृश्य भी पर्यटको को आकर्षित करते हैं। यदि देवी मंदिर की ओर मुंह किया जाय तो बायी ओर और शिवमंदिर जाकर मंदिर की ओर मुंह किया जाय तो ठीक पीछे काफी सुरम्य और सुंदर घाटियों के दर्शन आंगंतुकों को होते हैं। काफी ऊंचा क्षेत्र होने के कारण यहां ठंड भी अपेक्षाकृत अधिक है। बर्फबारी के दौरान भी लोग यहां जाकर प्रकृति का लुत्फ उठाते है। यहां अब पैराग्लाइडिंग और वायनाकुलर लगाने की भी योजना बन रही है।

देशी विदेशी पर्यटकों की सबसे पसंदीदा जगह है कसारदेवी

अल्मोड़ा यूं तो एक हिल स्टेशन है यहां वर्षभर देशी विदेशी पर्यटकों का आना जाना लगा रहता है लेकिन अब कसारदेवी क्षेत्र देशी विदेशी पर्यटको का पसंदीदा दर्शनीय स्थल बनता जा रहा है, अल्मोड़ा के बाद रानीखेत,शीतलाखेत, जागेश्वर आदि क्षेत्र भी पर्यटकों की दृष्टि से पंसदीदा पर्यटक स्थल माने जाते हैं। आंकड़े भी इसकी गवाही देते है।। पर्यटन कार्यालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार नवंबर माह तो ही पूरे जिले में सात हजार विदेशी पर्यटकों के साथ ही कुल दो लाख 90हजार पर्यटक जिले में भ्रमण पर आए हैं। 2016 में इनकी संख्या 2लाख 39 हजार 626 भारतीय और 5690 विदेशी थे। 2017 में भारतीय पर्यटकों की संख्या 2 लाख 53 हजार 411 थी और विदेशी पर्यटकों की संख्या 6030 थी। 2018 में भारतीय पर्यटकों की तादात 2लाख 62 हजार 410 था विदेशी पर्यटकों की संख्या 5807 थी।

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