उत्तराखंड की स्वास्थ्य सुविधा: प्रसव पीड़ा से तड़फ रही महिला को कर दिया रेफर, गर्भस्थ बच्चे की मौत की जता दी आशंका, तब एम्बूलेंस में फार्मासिस्ट ने कराया सुरक्षित प्रसव

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health facility of uttarakhand

अल्मोड़ा/चौखुटिया,04 जुलाई 2022— उत्तराखंड की स्वास्थ्य व्यवस्था(

health facility of uttarakhand) जिस कारण से भी संवेदनहीन हो गई हो लेकिन उसका खामियाजा आम लोगों को उठाना पड़ रहा है। अब चौखुटिया में एक ऐसा मामला सामने आया है जो डाक्टरों की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाने के साथ ही लोगों की बेबसी का मार्मिक वर्णन करने को काफी है।

उत्तराखंड में हर सरकार स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर बनाने का दावा तो करती है लेकिन अस्पतालों में कितनी व्यवस्थाएं हैं यह स्वास्थ्य कर्मी ही जानते हैं लेकिन अव्यवस्थाओं से जूझ रहे स्वास्थ्य कर्मी जब संवेदनशीलता को भी परे रख दें तो स्थिति रुला देने वाली हो जाती है।
अल्मोड़ा के चौखुटिया अस्पताल (सीएचसी) में लापरवाही का बड़ा मामला सामने आया है।
यहां चमोली से सुरक्षित प्रसव की उम्मीद में लाई गई एक गर्भवती महिला को तत्काल अन्यत्र रेफर कर दिया गया। आरोप है कि​ डॉक्टर ने गर्भवती महिला की जांच कर नवजात को मृत तक घोषित कर रेफर कर दिया। समाचार पत्रों की खबरों के अनुूसार जब महिला के साथ आए परिजनों ने डाक्टरों से अस्पताल में ही प्रसव कराने का अनुरोध किया तब उन्हें पुलिस बुलाने के नाम पर डराया तक गया।
बाद में रैफर के दौरान एम्बूलेंस में ही महिला का प्रसव हो गया अब जच्चा और बच्चा दोनों ठीक हैं।

परिजनों का आरोप है कि बच्चा गर्भ से आधा बाहर निकल गया था। उसके पांव दिख रहे थे। लेकिन नवजात को अस्पताल के डॉक्टरों ने न सिर्फ मृत घोषित कर दिया, बल्कि गर्भवती को रानीखेत रेफर कर दिया। जिसके बाद गंभीर हालत में गर्भवती का 108 एंबुलेंस में ही सुरक्षित प्रसव हो गया। जच्चा-बच्चा दोनों स्वस्थ हैं, जिन्हें चौखुटिया अस्पताल में ही भर्ती कराया गया है।

अब इस पूरे घटनाक्रम के बाद अस्पताल प्रशासन और सरकारी सिस्टम की कार्यप्रणाली पर सवाल उठ खड़े हुए हैं।
आंगनबाड़ी कार्यकत्री लीला देवी के अनुसार, चमोली जिले के गैरसैंण ब्लॉक के ग्राम पंचायत कोलानी के खोलीधार तोक निवासी रविंद्र सिंह की पत्नी कुसुम देवी (23) को रविवार सुबह अचानक प्रसव पीड़ा शुरू हुई।

परिजन करीब डेढ़ किमी पैदल चलाकर गर्भवती कुसुम को सड़क तक लेकर पहुंचे। पैदल चलने के दौरान नवजात के पांव गर्भ से बाहर आ गए थे, जिसके बाद परिजनों ने आनन-फानन से उसे सीएचसी चौखुटिया पहुंचाया। आंगनबाड़ी कार्यकत्री लीला और गर्भवती की सास तारा देवी का आरोप है कि सीएचसी चौखुटिया के डॉक्टरों ने हल्की जांच के बाद कह दिया कि बच्चे की धड़कनें बंद हो गई हैं।

साथ ही हवाला दिया कि मृतक बच्चे की डिलीवरी के लिए उनके अस्पताल में कोई साधन नहीं हैं। लिहाजा उन्होंने प्रसव के लिए गर्भवती को रानीखेत रेफर कर दिया। निराश परिजन 108 सेवा से प्रसव पीड़िता को लेकर रानीखेत निकले। चौखुटिया से करीब दो किमी आगे बढ़ने पर महिला का 108 में ही प्रसव हो गया।

बच्चे को जीवित पाकर परिजन और 108 सेवा की टीम भी हैरत में पड़ गई। कुसुम ने बेटे को जन्म दिया था, इसके बाद उसी 108 सेवा से जच्चा-बच्चा को सीएचसी चौखुटिया में भर्ती कराया गया है, जहां दोनों स्वस्थ्य हैं।

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अस्पताल में भर्ती मासूम

समाचार पत्रों में छपी खबरों के अनुसार अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि अस्पताल पहुंचने पर प्रसव पीड़िता के गर्भ से बच्चे के पैर बाहर निकल चुके थे, जो कि नीले पड़े हुए थे। उस वक्त महिला डॉक्टर ने जांच में पाया था कि बच्चे की धड़कनें नहीं चल रही हैं। अस्पताल में गर्भवती के नवजात को मृत घोषित नहीं किया था, सिर्फ संभावना जताई थी।

अस्पताल में निश्चेतक की व्यवस्था नहीं होने के कारण रेफर किया गया था। यहीं नहीं अब अस्पताल प्रबंधन यह भी कह रहा है कि पुलिस बुलाने की बात इसलिए कहीं कि मरीज के तीमारदार भावुकता के कारण मामले की गंभीरता को नहीं समझ रहे थे। यहीं नहीं देरी दोनों के जीवन पर भारी पड़ सकती थी इसलिए पुलिस बुलाने की बात कही गई लेकिन वह लोग इसे गलत समझ बैठे।


कुल मिलाकर उत्तराखंड की स्वास्थ्य व्यवस्था को सुधारने की ठोस कोशिश जल्द नहीं की गई तो उपचार की उम्मीद में जिन्दगियां इसी तरह भटकती नजर आएंगी।