एक्सप्रेस ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक, इस्लामाबाद में इंस्टीट्यूट ऑफ स्ट्रैटेजिक स्टडीज में बोलते हुए बिलावल ने कहा, क्या यह हमारे हित में है, क्या इससे हमारा मकसद पूरा होगा, चाहे वह कश्मीर हो, चाहे बढ़ती इस्लामोफोबिया हो, भारत में नए शासन और सरकार की हिंदुत्व सर्वोच्चतावादी प्रकृति हो? हमने रिश्ते को व्यावहारिक रूप से काट दिया है। क्या इससे हमारा मकसद पूरा हो रहा है?
उन्होंने कहा, मैं विदेश मंत्री के रूप में अपने देश के प्रतिनिधि के रूप में न सिर्फ भारत सरकार से बात कर पाता हूं, बल्कि भारत के लोगों से भी बात नहीं कर पाता और क्या यह पाकिस्तान के उद्देश्यों को पूरा करने का सबसे अच्छा तरीका है?
फरवरी 2021 में जब दोनों देशों ने नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर संघर्ष विराम का नवीनीकरण किया, तो कुछ उम्मीद जगी थी। संघर्ष विराम अभी भी जारी है, लेकिन दोनों पक्ष वार्ता फिर से शुरू करने के लिए अगला कदम उठाने पर सहमत नहीं हो सके।
लेकिन पाकिस्तान में सरकार बदलने से कुछ स्तर पर जुड़ाव की नई उम्मीद जगी है। माना जाता है कि मौजूदा गतिरोध से बाहर निकलने का रास्ता खोजने के लिए किसी तरह का बैक चैनल सक्रिय है।
एक्सप्रेस ट्रिब्यून की रिपोर्ट के अनुसार, इस पृष्ठभूमि में विदेश मंत्री जरदारी का बयान इस ओर इशारा करता है कि मौजूदा सरकार कुछ बदलाव लाने को उत्सुक है।
–आईएएनएस
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