shishu-mandir

बड़ी खबर : बद्री केदार के दर्शन किए बगैर लौट रहे तीर्थयात्री

Newsdesk Uttranews
9 Min Read

new-modern
gyan-vigyan

व्यापारियों के अभद्रता और मंहगे दामों पर सामान बेचने से आहत यात्री : प्रशासन का नहीं कोई अंकुश

saraswati-bal-vidya-niketan

निरंकुशता लगा रही देव भूमि की छवि पर बट्टा

कुलदीप राणा आज़ाद/ रूद्रप्रयाग

केदारनाथ और बद्रीनाथ की यात्रा पर आए करीब 40 प्रतिशत से ज्यादा लोग बिना दर्शन के ही वापस लौट रहे हैं। यही नहीं इन तीर्थों में यात्रियों को जमकर लूटा जा रहा है। देश के कोने—कोने सेसच्ची आस्था और विश्वास लेकर आए तीर्थ यात्री के साथ हो रही इस लूट पर प्रशासन की भी खुली छूट है। यात्री आखिर बोले भी तो किससे बोले ऐसे में वह बेहद आहत हैं और खुद को ठगा महसूस कर रहा है। राजस्थान, हरियाणा, बिहार, केरला, बंगाल आदि राज्यों के कई ग्रुपों के यात्रियों से हुई बातचीत में उन्होंने अपने बहुत कडवे अनुभव साझा किए हैं। यात्रियों का साफ कहना है कि उत्तराखण्ड सरकार और रूद्रप्रयाग प्रशासन यात्रा के बेहतर संचालन में फिसड्डी साबित हो रहा है। आपको तीर्थ राज पुष्कर राजस्थान की ज्योति दाधीच के यात्रा संस्मरण बताते हैं जो उन्होंने हमें लिख भेजा है अपनी कलम से

जून 2019 उत्तराखण्ड संस्मरण ……………………..


जरूर आये उत्तराखण्ड परन्तु ………………………

चारधाम यात्रा पर जाने वाले यात्रियों से निवेदन है कि फिलहाल उत्तराखण्ड यात्रा स्थगित ही रखे। चारधाम यात्रा के लिए सदैव सितम्बर अक्टूबर में ही प्लान बनाये तो उचित रहेगा। अगर फिर भी यात्रा के लिए निकल चुके हो तो पीने का पानी और खाने के लिए साथ मे जरूर रखे।कई बार जाम की स्थिति जंगल मे होने से दूर दूर तक न पीने को पानी मिलेगा न खाने को। औरअगर किस्मत से मिल भी जाये तो पानी की बोतल 30-40-50 रूपये तक वसूल रहे है। दुकानदार जिन पर कोई कंट्रोल तक नही । हम कालीमठ तुंगनाथ यात्रा पर निकले पहली बार रिकॉर्ड तोड़ वाहनों की भीड़ पूरे जीवन मे कभी नही देखी जितना इस बार देखने को मिली । कई किलोमीटर जाम को पार कर जैसे तैसे ऋषिकेश पार कर वैकल्पिक मार्ग पौड़ी से हम श्रीनगर पहुंचे ताकि ट्रैफिक ओर जाम से समय न गंवाए परन्तु आजकल शॉर्टेस्ट रूट्स भी अछूते नही है। भीड़ से हर कोई विकल्प ढूंढ रहा।भारत का स्विट्जरलैंड माने जाने वाले चोपता तुंगनाथ की वैली भी 3 किलोमीटर तक पर्यटक वाहनों की पार्किंग से अटी पड़ी है । उत्तराखण्ड की शायद ही कोई वैली बची हो जिधर से पर्यटक शॉर्टकट मारने की जुगत में न हो ।तुंगनाथ चंद्रशिला की पैदल कठिन ट्रेकिंग से नीचे उतर कर जब हम गोपेश्वर से चमोली पहुंचे तो बद्रीनाथ मार्ग के लिए तो चमोली पेट्रोल पंप पर लम्बी कतार लगी थी डीजल पेट्रोल के लिए। हमे पुलिस वालों ने 13 किलो मीटर आगे रास्ते मे डीजल ले लेने को कहा । जब 13 किलोमीटर आगे पीपलकोटी पहुंचे तो पता चला कि न डीजल है न पेट्रोल कब तक टैंकर आएगा नही पता। 1 किलोमीटर लंबी लाइन सिर्फ डीजल पेट्रोल की लगी थी खेर हमने सोचा आगे 12-15 किलोमीटर हेलंग के आस पास पम्प से ले लेते ह परन्तु रेंगते वाहनों के रेले में बचा खुचा डीजल उड़ाते हेलंग पहुंचे तो होश उड़ गए एक तो हेलंग से जोशीमठ में 8 घण्टे से जाम अटका था ।ये जाम उन गाड़ियों की वजह से था जिनके डीजल पेट्रोल खत्म हो गये और गाड़िया लम्बी कतारों में लगा कर लोग तंग हो रहे । पेट्रोल पंप रिक्त पड़े भारी ट्रैफिक की वजह से पेट्रोल डीजल के टैंकर इन दुर्गम स्थानों की आपूर्ति नही कर पा रहे। घण्टो इंतजार के बाद वापस लौटने का कोई चारा ही नही रह गया क्योंकि मात्र eco sports में इतना ही डीजल बचा कि चमोली वापस पहुंच कर stay करे। आखिर बेक 2 पैवेलियन होना शुरू हुए रात 9 बजे ,हमारी तरह सैकड़ो गाड़िया लौटने लगी ।अब स्थिति और बुरी हो गयी जितनी होटल्स खाली छोड़ कर निकले सब नो रूम्स हो चुके छोटे बड़े गांवों के होटल रेस्टोरेंट्स खंगालते परेशान होते पीपल कोटि पहुंचने पर खुशी हुई कि सिर्फ डीजल आया है सो लम्बी लाइन में लगकर किस्मत से टैंक फुल करवाया। किस्मत से इसलिए क्योंकि चमोली पम्प वाले तो 500रुपये का ही दे रहे प्रति वाहन ताकि सब को प्रसाद समान रूप से मिले। डीजल की समस्या सुलझा कर आगे बढ़ते रहे थके हारे निराश यायावरों की तरह। परन्तु चमोली आकर घोर निराशा हुई किसी भी गेस्टहाउस में तिल मात्र भी जगह नही रही अब करे भी क्या अंततः जिस रास्ते तुंगनाथ से नीचे उतरे मजबूरन वापस गोपेश्वर की ओर चढ़ना शुरू किया क्योंकि चमोली से गोपेश्वर की ओर दूर से कोई गाड़ी ट्रैफिक नही दिख रहा था। सम्भवतया वहां मदद मिल जाये।आखिरकार गोपेश्वर चेकपोस्ट पर रुक कर पुलिस से सहायता मांगी की मार्ग की परिस्थिति बता कर भगवान भला करे उन जवानों का उन्होंने तत्काल गोपेश्वर में किसी होटल वाले को फोन कर हमे कमरा देने का अनुग्रह किया,होटल मालिक स्वयम हमे गोपेश्वर चौराहे पर लेने पहुंचा वरना रात 2 बजे हमें गोपेश्वर में एक भी बन्दा नही मिलता जो सही सही होटल का अता पता बता सके। इसे खुशनसीबी समझ कर तुरन्तहमारे भाई मुकेश जी ने तुरन्त उत्तराखण्ड छोड़ने का फैसला किया बिना बद्रीनाथ ओली दर्शन के। जो रूट कर्णप्रयाग से कुमाऊँ रानीखेत से दिल्ली निकलता वो रुट भी हमारी तरह रिवर्स ग्रह प्रत्यावतर्न को लौट रहे यात्रियों से आबाद हो चुका। आखिरकार हम अपनी यात्रा का समापन श्रीनगर से वाया पौड़ी गढ़वाल,सतपुली ,कोटद्वार ,मेरठ होते हुए लौट रहे है ।लगातार 1996 से अब तक मे 29 बार हर वर्ष में एक दो बार आती ही रही परन्तु मेरे प्रिय उत्तराखण्ड की ऐसी अवस्था देख मन खिन्न ओर व्यथित है।बढ़ती भीड़ ओर यातायात दबाव के लिए सरकार नही सोचेगी तो पुनः कहीं आपदा न आ जाये भगवान सद्बुद्धि दे सरकार को ईश्वर रक्षा करे पवित्र देवभूमि की। और दिनोदिन बढ़ते यातायात पर कठोरता से अंकुश लगाने के उपाय सरकार को करने चाहिए। जब 6 माह यात्रा नही चलती तब पहले से सब तैयारियां करनी चाहिए।ओर खाने पीने की वस्तुओं की कालाबाजारी पर प्रशासन को सख्त होना चाहिए। व्यापारी वर्ग चांदी कूट रहा वही आम जन पुरोहित वर्ग भी निराश है। क्योंकि इतनी भीड़ है मन्दिर में यजमान को पूजा करवाना तो दूर यजमानों को लेकर प्रवेश तक नही कर पा रहे प्रशासन पुलिस के सख्त रवैये से,ऐसे में साल भर की उनकी आजीविका पर संकट प्रतीत हो रहा ह । बेतहाशा भीड़ से सिर्फ लुटेरा वर्ग(हेली सेवा,घोड़े,पालकी,होटल,रेस्टोरेंट)वाले खुश है। भगवान का कोई डर इन्हें नही। मेरी पोस्ट से मेरे कुछ उत्तराखण्डी भाइयो को बड़ी आपत्ति है किन्तु जो सत्य है मैं लिखूंगी। वर्षो से इस प्रदेश से बड़ा लगाव व मोह रहा परन्तु साथ के लोग कितना गलत संदेश ले कर घर लौट रहे ।प्रशासन और सरकार की गलती से ओर लालची व्यापारियों की वजह से भोले भाले उत्तराखण्डियों को यात्रियों द्वारा अभद्र भाषा मुझे ह्रदय से व्यथित करती रही ।
खैर मैं फिर फिर लौटती ही रहूंगी।
मैं में फिर आउंगी देवभूमि जल्दी ही इस आशा के साथ कि सब कुछ जरूर ठीक हो जाएगा। जय देवभूमि ।
ऐस्ट्रो ज्योति दाधीच
तीर्थराज पुष्कर ,राजस्थान

https://uttranews.com/2019/04/21/sumit-ke-anokhe-sadi-dehradun/