एक शिक्षक जिसने शिक्षण के साथ ही पर्यावरण संरक्षण के लिए छेड़ी है मुहिम नाम है कंटरमैन

Newsdesk Uttranews
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A teacher who has waged for education as well as environmental protection is a campaign named Kanterman शिक्षक

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अल्मोड़ा, 05 सितंबर 2020— मुख्यतया एक शिक्षक का काम सिर्फ अपने स्कूल के बच्चों को बेहत्तर शिक्षा देना मुख्य कार्य होता है। लेकिन द्वाराहाट के राजकीय इंटर कालेज बटुलिया के शिक्षक जमुना प्रसाद तिवारी शिक्षण कार्य के साथ ही पर्यावरण संरक्षण की मुहिम को साथ लेकर आगे बढ़ रहे हैं।

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कूड़ा निस्तारण के लिए ​कबाड़ से जुगाड़ को प्राथमिकता देते हुए तिवारी ने न केवल खाली कनस्तरों (कंटरों)को कूड़ेदान का स्वरूप दिया बल्कि एक आंदोलन की तरह इन कूड़ेदानों को लोगों में वितरण का कार्य किया। आज क्षेत्र में शिक्षक तिवारी को लोग कंटरमैन नाम से जानते हैं।

शिक्षक तिवारी क्षेत्र में 500 से अधिक कंटरों के डस्टबिन बनाकर क्षेत्र में निशुल्क बाटे है। स्वच्छता और पर्यावरण संरक्षण के लिए तिवारी को कई पुरुस्कार भी मिल चुके है, द्वाराहाट क्षेत्र के राजकीय इंटर कालेज बटुलिया में जीव विज्ञान प्रवक्ता जमुना प्रसाद तिवारी पिछले 5 सालों से शिक्षा के साथ खाली समय में खाली कंस्टरों से डस्टबिन बनाकर सार्वजनिक स्थानों और बाजारों में निशुल्क बाटते है। जिससे कूड़े को जगह-जगह फैलाने से बचाया जा सके। इसके लिए 2016 में राज्यपाल पुरुस्कार और 2017 में शैलेश मटियानी पुरुस्कार मिल चुका है।

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स्थानीय लोग इनके इस जुझारूपन और कर्मठता की तारीफ करते नहीं थकते हैं। उनकी य​ह मुहिम पर्यावरण संरक्षण ओर कूड़ानिस्तारण की सतत ट्रेनिंग बन कर उभर चुकी है।तिवारी पिछले 5 सालों से शिक्षा के साथ खाली समय में खाली कंस्टरों से डस्टबिन बनाकर सार्वजनिक स्थानों और बाजारों में निशुल्क बाटते है।उन्होंने जब यह मुहिम शुरु की तब अकेले थे आज कई लोग उनको सहयोग करते हैं। उनके विद्यालय के छात्र भी इस कार्य में लगे रहते हैं। कोरोना काल में भी जहां विद्यालय बंद है तिवारी आज भी विद्यालय जाकर वहां पौधरोपण, स्कूल मार्ग सुधारीकरण या अन्य कार्य करने के साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को कूड़ा निस्तारण के लिए खुद तैयार कंटर उपलब्ध कराते हैं। इसमें खास बात यह है कि उनके इस अभियान में प्लास्टिक के उपयोग को भी नहीं करने का संदेश छिपा रहता है।

तिवारी को इस बात की खुशी है कि उनके संदेश को लोगों ने समझा है और साथ ही उनके इस अभियान में प्लास्टिक को ना जैसा संदेश भी छुपा है क्योंकि वह टिन के कनस्तरों से डस्टबिन बनाते हैं और लोगों तक पहुंचाते हैं इससे अधिकांश लोगों के पास प्लास्टिक के डस्टबिन की बजाय टिन का ​डस्टबिन है।

द्वाराहाट ​के सामाजिक कार्यकर्ता संजय मठपाठ ने कहा कि बटुलिया छात्र-छात्रायें भी कई प्रतियोगिताओं में राष्ट्रीय स्तर तक प्रतिभाग कर चुके है। स्वच्छता की मुहिम में क्षेत्र के कई ग्राम प्रधानों को भी जोड़ा है ताकि गांवों और सार्वजनिक स्थानों पर साफ रखा जा सके। उन्होंने कहा कि शिक्षक तिवारी की इस मुहिम से ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छता और कूड़ा निस्तारण को लेकर एक चेतना का प्रसार हुआ है।

शिक्षक तिवारी ने स्कूल के बच्चों की पढ़ाई के साथ पर्यावरण स्वच्छता का बीडा भी उठाया है। तेल के खाली टिन (कंटर या कनस्तर) से वह खुद डस्टबिन बनाते हैं और उसे बढ़िया आकार देकर पेंट कर लोगों को निशुल्क बांटते हैं। अब तक क्षेत्र के दर्जनों गांवों को स्वच्छता की मुहिम से जोड़ चुके है। यही नहीं वह खुद पक्षी प्रेमी भी हैं उन्होंने खाली समय में लकड़ी की प्लाईवुड का इस्तेमा कर कई घोसंले भी तैयार किए हैं। ताकि पक्षी प्रेमी इन्हें अपने घरों में लगाए और गौरया सहित अन्य पक्षी इनमें अपने घोंसले बनाए।

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