पिथौरागढ़। उत्तराखंड पुलिस में सब-इंस्पेक्टर के पद पर तैनात रहे प्रदीप नेगी का इलाज के दौरान निधन हो गया, लेकिन उनके परिवार के लिए दुख यहीं खत्म नहीं हुआ।उनके परिजनों का आरोप है कि गुड़गांव के जिस निजी अस्पताल में उनका इलाज हुआ, वहां से शव तब तक नहीं सौंपा गया, जब तक परिवार ने लाखों रुपये का बिल चुकता नहीं कर दिया। अब परिवार इसे इलाज कम और लूट ज्यादा बता रहा है।
प्रदीप नेगी उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले की इंटेलिजेंस यूनिट में तैनात थे। मूल रूप से पौड़ी जिले के रणस्वा गांव के रहने वाले थे और साल 2001 में आरक्षी के तौर पर पुलिस सेवा में आए थे। 2008 में रैंकर परीक्षा पास करके सब-इंस्पेक्टर बने। अपने साथियों में वे एक अनुशासित और कर्मठ अधिकारी के तौर पर जाने जाते थे।
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बताया जा रहा है कि 21 फरवरी 2025 से उन्होंने स्वास्थ्य कारणों की वजह से 10 दिन का अवकाश लिया था। इसी दौरान तबीयत और बिगड़ी और जब देहरादून के मैक्स अस्पताल में जांच कराई गई, तो लीवर फेल्योर की पुष्टि हुई। इसके बाद डॉक्टरों ने उन्हें 15 मार्च को गुड़गांव के पारस अस्पताल रेफर कर दिया।
वहीं पर उनका इलाज चल रहा था, लेकिन 12 मई की सुबह उनकी मृत्यु हो गई। इस दुखद खबर के बाद परिवार ने अस्पताल पर लापरवाही और आर्थिक शोषण के आरोप लगाए हैं। परिजनों का कहना है कि इलाज के लिए पहले ही 22 लाख रुपये अस्पताल को दिए जा चुके थे। मगर मृत्यु के बाद अस्पताल ने करीब 45 लाख का बिल थमा दिया और कहा कि बिना भुगतान शव नहीं सौंपा जाएगा।
प्रदीप नेगी की साली विनीता रावत का कहना है कि हमने उनके इलाज में सब कुछ झोंक दिया, घर-जेवर सब बिक गया। लेकिन जब भाई नहीं बचे तो सोचा कम से कम अंतिम दर्शन तो हो जाएं, पर वो भी पैसे के बंधन में फंस गया। किसी तरह और 13 लाख रुपये का इंतजाम करके अस्पताल को दिए, तब जाकर शव मिला। उन्होंने हरियाणा सरकार और जिला प्रशासन से मदद की गुहार भी लगाई है।
इसी तरह प्रदीप नेगी के भाई दीपेंद्र नेगी ने भी आरोप लगाया कि इलाज के दौरान अस्पताल का रवैया ठीक था, लेकिन मृत्यु के बाद जो बिल सामने आया, उसमें कई गड़बड़ियां थीं। साफ-साफ कह दिया गया कि बिना पूरा भुगतान किए शव नहीं मिलेगा। इस दबाव में हमें 13 लाख रुपये और देने पड़े। कुल 35 लाख रुपये अस्पताल को दिए जा चुके हैं, लेकिन वे अभी भी बाकी रकम जमा करने की बात कह रहे हैं।
इस घटना ने निजी अस्पतालों की कार्यशैली और स्वास्थ्य व्यवस्था की संवेदनशीलता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। नेगी परिवार अब उत्तराखंड और हरियाणा सरकार से न्याय की मांग कर रहा है ताकि भविष्य में किसी और को ऐसे हालातों का सामना न करना पड़े।
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