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द रॉक माउंट व्यू के बेजान पत्थरों में जान फूंक रहा काली कुमाऊं का विजय

Newsdesk Uttranews
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ललित मोहन गहतोड़ी


चंपावत। पहाड़ में जंगलों के बीच जाकर एक युवक पत्थरों में एक से बढ़कर एक पेंटिंग उकेर रहा है। देखने में मनमोहक और स्थानीय परिवेश में ढाली गई यह पेंटिंग्स जंगल के वीराने में वाकई एक सुखद अनुभूति महसूस कराती नजर आने लगी हैं। पहाड़ में लगभग हर जगह बड़े बड़े पत्थर (शिला) दिखाई देंगी। जो कुछ रूप उकेरती महसूस होती हैं पर हम इन रूपों को नजर अंदाज कर दो कदम आगे निकल जाते हैं। लेकिन हमेशा आगे चलने वाले विजय जैसे नौजवान और कला के कद्रदान ऐसा नहीं करते। वह इन शिलाओं अपनी प्रतिभा उकेरना शुरू कर देते हैं। काली कुमाऊं लोहाघाट खूना बोहरा आगर तोक निवासी यह युवक विजय सिंह बोहरा आजकल अपने हुनर से जंगलों के पत्थरों में रॉक पेंटिंग कर जंगल को चमका रहा है।

जंगल में एक से बढ़कर एक सुंदर रॉक पेंटिंग बनाई हैं इस युवक ने

कोरोना काल से पहले विजय दिल्ली, देहरादून, हल्द्वानी और नैनीताल आदि जगहों में काम कर चुका है। कोरोना के दौराश घर बैठे बैठै बोरियत से उबरने के लिए अपने घास के मैदान (मांग्गे) में गया तो वहां के बड़े बड़े पत्थरों में आकृति उकेरनी शुरू कर दी। एक एक कर छह सात बड़े बड़े पत्थरों में आकृति उभर कर जब पेंटिंग के रूप में बाहर आई तो मानो समूचा जंगल अपने स्वरूप को संवारता बिखेरता महसूस हुआ।

विजय जहां पर वह स्टोन पेंटिंग कर एक एक पत्थर को संवार रहा है उसने उस जगह का नाम द रॉक माउंट व्यू दिया है। इस 28 वर्षीय स्थानीय आगर निवासी युवक विजय की तमन्ना है उसके आसपास का जंगल हरियाली के साथ पेंटिंग से चमक उठे। और यहां के बड़े बड़े पत्थरों में जगह और वातावरण के लिहाज से स्टोन पेंटिग उकेर कर जंगल की सुंदरता में चार चांद लाग जाएं।

यह देखने को मिलेगा विजय के खजाने में


हां आपको दूर आसमान में उड़ती चील, उड़ती घुताली चिड़िया आदि के सुंदर सुंदर छाया चित्र पत्थरों में उकेरे हुए देखने को मिल जाएंगे। विजय ने एक से बढ़कर एक चित्रों को सेप के अनुसार सजाकर इन बेजान पत्थरों के लिए नाम दे दिए हैं। जैसे रेड बुल, मास्टर, मदर लेंड, द नेचर और बैक यार्ड आदि आदि शब्द अपनी कला के जरिए शब्द इन विशाल शिलाओं पर उकेरे हैं। यहां खुरदरा टेड़ा उठा एक पत्थर का सेड है जिसे द राक माउंट नाम दिया है। विजय का कहना है कि उसे प्रोत्साहन मिले तो वह जंगल के लगभग बड़े बड़े पत्थरों में एक से बढ़कर एक पेंटिंग तैयार कर सकता है।

बेरोजगारी को नहीं होने दिया फन में हावी


दिल में कुछ नया करने का जज्बा और क्रियेटिविटी के लिए विजय जंगलों में जाकर उसे अपनी कला के हुनर से संजोने का कार्य कर रहे हैं। फिलहाल कोरोना काल के बाद से विजय बेरोजगार है लेकिन उसने कभी बेरोजगारी को अपनी हॉवी में हावी नहीं होने दिया। विजय ने शुरुआत से ही पाकेट मनी बचाकर सारे संसाधन जुटाए। इसके लिए वह बाजार से पेंट और ब्रुस खरीदकर एक एक पत्थर पर लिखने में जुट गया। इस दौरान विजय ने अपने गांव आगर के रास्ते और जंगल के पत्थरों में एक से बढ़कर एक पेंटिंग कर अपना हुनर सामने रख दिया है।