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उत्तराखंड: प्राइवेट स्कूलों (Private schools) में फीस मामले को लेकर 4 जिलों के सीईओ से मांगा स्पष्टीकरण, यहां पढ़ें पूरी खबर

Newsdesk Uttranews
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देहरादून, 01 मई 2020
निजी विद्यालयों (Private schools) द्वारा आनलाइन व अन्य माध्यमों से कक्षाएं संचालित नहीं किए जाने के बावजूद भी अभिभावकों से फीस वसूलने व एनसीईआरटी के स्थान पर अन्य प्रकाशकों की किताबें संचालित किए जाने को लेकर महानिदेशक विद्यालयी शिक्षा (DG school education) ने 4 जनपदों के सीईओ से स्पष्टीकरण मांगा है. 3 दिन के भीतर स्पष्टीकरण दिए जाने के निर्देश दिए है.

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गौरतलब है कि ​कोविड—19 से बचाव के लिए घोषित देशव्यापी लॉग डाउन के चलते सभी प्रकार के शिक्षण संस्थान बंद है. ऐसे में शासन की ओर से बीते 22 अप्रैल को सभी जनपदों के निजी विद्यालयों को शासनादेश जारी किया गया था जिसमें आनलाइन व अन्य माध्यमों से छात्रों का शिक्षण कार्य जारी रखने के निर्देश ​दिए गए थे. साथ ही स्वेच्छा से शुल्क जमाने कराने वाले अभिभावकों से ही इस माह का शुल्क लिए जाने के भी स्पष्ट आदेश थे.

लेकिन कुछ जनपदों में निजी विद्यालयों (Private schools) द्वारा आनलाइन कक्षाओं के संचालन नहीं करने के बावजूद, प्रतिबंधों का उल्लंघन करते हुए अभिभावकों पर फीस वसूली का दबाव बनाया जा रहा है और एनसीईआरटी की पाठय पुस्तकों के स्थान पर अन्य प्रकाशकों की पुस्तकों को संचालित किया जा रहा है जो की काफी महंगी है.

महानिदेशक विद्यालयी शिक्षा के कार्यालय से जारी आदेश में देहरादून, हरिद्वार, उधमसिंह नगर व नैनीताल जिलों के मुख्य शिक्षा अधिकारियों से इन दोनों प्रतिबंधों के उल्लंघन में स्पष्टीकरण मांगा है. तीन दिन के भीतर अपना स्पष्टीकरण अधोहस्ताक्षरी को प्रस्तुत करने के निर्देश दिए है.

साथ ही ऐसे निजी विद्यालयों (Private schools) की सूची जो आनलाइन कक्षाएं संचालित नहीं करने के बावजूद भी अभिभावकों से शुल्क वसूल रहे और राज्य सरकार की नीति के विरूद्ध एनसीईआरटी के स्थान पर अन्य प्रकाशकों की पुस्तकें संचालित कर रहे है की सूची अलग—अलग प्रस्तुत करने के निर्देश दिए है.

महानिदेशक, विद्यालयी शिक्षा आर मीनाक्षी सुंदरम (R. Meenakshi Sundaram) ने इसकी पुष्टि की है.

मामले में मंडलीय अपर निदेशक, माध्यमिक शिक्षा कुमाउं मंडल मुकुल कुमार सती (Mukul Kumar Sati) की ओर से भी बीते 24 अप्रैल को आदेश जारी किए गए थे. लेकिन निजी विद्यालयों के प्रबंधक व प्रधानाचार्य अफसरों के आदेशों की धज्जियां उड़ाते हुए मनमानी बरत रहे है.

यहां देखे आदेश—