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अल्मोड़ा मेडिकल कॉलेज में अल्ट्रसाउंड तक की व्यवस्था नहीं, क्या कहें, किससे कहें ?

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No arrangement for ultrasound in Almora Medical College

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यहां अल्ट्रासाउंड तक की व्यवस्था नहीं है जिससे मरीजों को इधर उधर भटकना पड़ रहा है। ऐसे में यहां नाम देख कर उपचार कराने वाले यहां पहुंचने के बाद खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं। ऐसे में ऑपरेशन सहित अन्य बड़ी बीमारियों का उपचार कैसे होगा यह एक सोचनीय प्रश्न है।
यहां यह बात काबीले गौर है कि मेडिकल कॉलेज खुलने पर यहां नेताओं और अधिकारियों ने खूब वाहवाही लूटी, उद्घाटन के दिन भी खूब कसीदे पढ़े गए। सीएम ने भी यहां निरीक्षण किया लेकिन सुविधाएं अभी भी दूर की कौड़ी नजर आ रही है।

अल्मोड़ा, 24 अगस्त 2022- 16 साल बाद अल्मोड़ा मेडिकल कॉलेज अस्तित्व में तो आया लेकिन अभी भी यह मरीजों के लिए केवल सफेद हाथी साबित हो रहा है।

यहां उच्च स्तरीय चिकित्सा व्यवस्था अभी भी सपने सरीखा तो है ही यहां अल्ट्रासाउंड तक की व्यवस्था नहीं है जिससे मरीजों को इधर उधर भटकना पड़ रहा है। ऐसे में यहां नाम देख कर उपचार कराने वाले यहां पहुंचने के बाद खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं। ऐसे में ऑपरेशन सहित अन्य बड़ी बीमारियों का उपचार कैसे होगा यह एक सोचनीय प्रश्न है।

No arrangement for ultrasound in Almora Medical College
No arrangement for ultrasound in Almora Medical College


यहां यह बात काबीले गौर है कि मेडिकल कॉलेज खुलने पर यहां नेताओं और अधिकारियों ने खूब वाहवाही लूटी, उद्घाटन के दिन भी खूब कसीदे पढ़े गए। सीएम ने भी यहां निरीक्षण किया लेकिन सुविधाएं अभी भी दूर की कौड़ी नजर आ रही है।


जनवरी 2022 में मेडिकल काँलेज को एनएमसी से मान्यता मिलने के बाद पहले बैंच की पढ़ाई शुरु हो गयी थी। जिसके बाद बेस अस्पताल को भी मेडिकल काँलेज ने अपने अधीन ले लिया, अब हालात यह है कि न तो मरीजों को देखने के लिए डांक्टर समय से बैठ रहे है और न ही कोई ईलाज मिल पा रहा है।

यहां तक कि एक अल्ट्रासाउंड के लिए मरीजों को दर-दर की ठोकर खानी पड़ रही है। छोटे से आँपरेशन के लिए भी मरीजों को हल्द्वानी का रुख करना पड़ रहा है।

यह हैं हालात


डोबा गांव से आई एक मरीज मंजू ने बताया कि वह गर्भवती है और पिछले दो दिनों से यहां के चक्कर काट रहीं है। इससे पहले वह महिला अस्पताल भी गई। अच्छी व्यवस्था की उम्मीद में मेडिकल कॉलेज पहुंची तो यहां आकर पता चला कि अल्ट्रासाउंड नहीं हो रहा है। उन्होंने कहा कि अब वह किससे शिकायत करे, क्योंकि कोई सुनने वाला नहीं है। एक ही जबाब है कि अल्ट्रासाउंड नहीं हो रहा है। उन्होंने कहा कि वह सुबह घर से आती हैं और बिना जांच कराए वापस लौटना पड़ता है।

यह कहना है अस्पताल प्रबंधन का


अस्पताल के अधीक्षक ड़ा. एस दास का कहना है कि एक साल के लिए रेडियोलाँजिस्ट बांड पर था अब उनकी सेवा समाप्त हो गयी है अब शासन की अनुमति का इंतजार कर रहे है। उन्होंने इस बात को माना कि मरीजों को परेशानी हो रही है दूर-दूर गांव से मरीज आ रहे है।

कैसे सुधरें पहाड़ की स्वास्थ्य व्यवस्था


पहाड़ से चिकित्सा और शिक्षा के लिए अधिकांश लोग पलायन करते है। लेकिन मेडिकल काँलेज बनने से लोगों को काफी उम्मीद थी, साथ ही हर भाषणों में मेडिकल कॉलेज का जिक्र कर अच्छी मेडिकल सुविधा की उम्मीद भी जताई जाती है। लेकिन हुआ ठीक इसके उलट स्तरीय उचित उपचार तो दूर एक मामूली अल्ट्रासाउंड भी मेडिकल कॉलेज में नही होना शर्म की बात है. क्या कोई जनप्रतिनिधि या फिर अधिकारी गरीब लोगों की परेशानी पर ध्यान देंगे या हाल वैसे ही रहेंगे अब देखना होगा। यहां एमआरआई, सीटी स्कैन जैसी जांचों के लिए भी लोग आए दिन परेशान रहते हैं।