पहली बार भारत ने अपने बनाये हुए आत्मघाती ड्रोन का इस्तेमाल करके आतंक के ठिकानों पर सीधा वार किया है। नागस्त्र एक नाम है जो अब देश की नई ताकत बन चुका है। इसे उड़ता बम कहा जा रहा है क्योंकि ये दुश्मन के इलाके में जाकर आसमान में मंडराता है और सही वक्त देखकर खुद को टारगेट पर गिराकर खत्म कर देता है। यानी दुश्मन तबाह और भारतीय सैनिकों की जान भी सलामत।
ये काम किया है नागपुर की सोलर इंडस्ट्रीज ने। भारतीय सेना को इस स्वदेशी ड्रोन की अब तक 120 यूनिट मिल चुकी हैं। इसे खासतौर पर आतंकियों के ठिकानों को निशाना बनाने के लिए तैयार किया गया है। ऐसे ठिकाने जो सरहद के उस पार होते हैं या फिर ऐसे लॉन्च पैड जहां से घुसपैठ की साजिश रची जाती है।
सात मई को जब भारत ने ऑपरेशन सिंदूर चलाया तो पहली बार इसी ड्रोन का इस्तेमाल किया गया। हमला उस मुल्क के भीतर किया गया जहां से बार बार आतंक का खेल खेला जाता रहा है। इस ऑपरेशन में कुल 9 आतंकी अड्डे तबाह कर दिए गए। ये हमला उस आतंकी हमले का जवाब था जिसमें पहलगाम में 26 लोगों की जान गई थी। नागस्त्र ने एक एक ठिकाने को बेहद सटीकता से खत्म किया। ये पहली बार था जब भारत ने अपनी तकनीकी ताकत से आतंक के खिलाफ इतनी बड़ी कार्रवाई की।
अब अगर इस ड्रोन की खासियत की बात करें तो ये करीब 30 किलोमीटर दूर तक जाकर हमला कर सकता है और टारगेट से सिर्फ दो मीटर दूर वार करता है। यानी निशाना लगभग अचूक। ये ड्रोन एक घंटे तक हवा में रह सकता है और इसमें दो तरह के मोड होते हैं। मैन इन लूप मोड में ये 15 किलोमीटर तक काम करता है और ऑटोनॉमस मोड में 30 किलोमीटर तक। इसके अंदर लगा इलेक्ट्रिक सिस्टम इसे दुश्मन के रडार से बचाता है। ये दिन हो या रात हर वक्त काम कर सकता है और एक किलो विस्फोटक साथ ले जा सकता है। खास बात ये है कि ये बर्फीले इलाकों में भी उतना ही असरदार है और साढ़े चार हजार मीटर की ऊंचाई तक पहुंच सकता है।
इसकी सबसे बड़ी ताकत ये है कि ये हथियार पूरी तरह से अपने देश में बना है और तकरीबन 75 फीसदी हिस्सा स्वदेशी है। जो हथियार हम इजरायल और पोलैंड से लेते रहे हैं ये उनके मुकाबले करीब 40 फीसदी सस्ता पड़ता है। अगर कभी इसका टारगेट न मिले तो इसे पैराशूट से वापस लाया जा सकता है यानी दुबारा भी इस्तेमाल किया जा सकता है। इसका टेस्ट लद्दाख की नुब्रा घाटी में हो चुका है और आगे आने वाले वक्त में ये सर्जिकल स्ट्राइक जैसे ऑपरेशनों में अहम भूमिका निभा सकता है।
नागस्त्र अब सिर्फ एक ड्रोन नहीं है बल्कि भारत की उस नई सोच का हिस्सा है जो दुश्मनों को उन्हीं की भाषा में जवाब देने के लिए तैयार हो रही है। अब देश को अपने हथियारों के लिए बाहर देखने की जरूरत नहीं है और तकनीक के मोर्चे पर भी हम किसी से पीछे नहीं।