मिडिल ईस्ट में चल रही जंग ने हिंदुस्तान समेत पूरी दुनिया की टेंशन बढ़ा दी है। इसका असर सीधा लोगों की रोज की जिंदगी पर पड़ सकता है। जैसे साबुन हो या तेल या फिर बिस्किट जैसी चीजें जो रोजाना इस्तेमाल में आती हैं उनके दाम अब ऊपर जा सकते हैं।
कंपनियां जो ये सामान बनाती हैं उन्हें डर सता रहा है कि जंग की वजह से कच्चा माल महंगा हो जाएगा। जब माल महंगा आएगा तो सामान बनाना भी खर्चीला हो जाएगा। ऐसे में या तो कंपनियों को घाटा उठाना पड़ेगा या फिर उन्हें मजबूरी में प्रोडक्ट की कीमतें बढ़ानी पड़ेंगी। अगर ऐसा हुआ तो आम आदमी की जेब पर और बोझ बढ़ जाएगा।
गोदरेज कंज्यूमर प्रोडक्ट्स के एक अधिकारी कृष्णा खटवानी ने बताया कि मिडिल ईस्ट में हालात और बिगड़ते हैं तो कच्चे तेल के रेट चढ़ सकते हैं। कंपनी सिन्थोल साबुन और गुडनाइट जैसे सामान बनाती है। उन्होंने कहा कि अगर ऐसा हुआ तो लोगों के लिए जरूरी चीजें खरीदना मुश्किल हो सकता है।
ये लड़ाई ऐसे वक्त में शुरू हुई है जब कंपनियों को उम्मीद थी कि बाजार में मांग फिर से उठेगी। पिछले करीब सवा साल से डिमांड में गिरावट थी लेकिन अब रिजर्व बैंक ने ब्याज घटा दिए हैं। सरकार ने टैक्स में भी कुछ राहत दी है और मानसून भी समय से पहले आ गया है। इन सब बातों से कंपनियों को लगा था कि अब कारोबार पटरी पर लौटेगा।
बिसलेरी कंपनी के सीईओ एंजेलो जॉर्ज ने भी चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि मिडिल ईस्ट में एनर्जी सप्लाई पर असर पड़ा तो कच्चे तेल की कमी हो सकती है। इसका सीधा असर प्लास्टिक से बनने वाले सामानों पर पड़ेगा। उनकी कंपनी पानी की बोतलें बनाती है और बोतल प्लास्टिक से ही बनती है। उन्होंने कहा कि अगर कच्चे तेल का झटका आया तो पैकेजिंग का खर्च भी बढ़ जाएगा और मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं।
दो हफ्ते पहले बिसलेरी ने दुबई की एक कंपनी से हाथ मिलाया था। अब कंपनी अपने सामान को मिडिल ईस्ट और अफ्रीका तक पहुंचाने की तैयारी में है। शुरुआत यूएई से होगी। मगर हालात ऐसे बन गए हैं कि इस प्लान पर भी असर पड़ सकता है।
कई कंपनियां छे महीने पहले ही जरूरत का सामान खरीद कर रखती हैं ताकि सप्लाई न रुके। लेकिन अगर तेल की कीमतें अचानक बढ़ती हैं तो जो राहत उन्हें मिलनी थी वो भी जाती रहेगी। खासकर शहरों में जहां पहले से मंदी है वहां हालत और बिगड़ सकते हैं।
डाबर कंपनी के सीईओ मोहित मल्होत्रा ने कहा कि वो मिडिल ईस्ट की स्थिति पर नजर रख रहे हैं। उन्होंने बताया कि इस वक्त खाने पीने की चीजों की महंगाई थोड़ी कम हुई है। इस बार मानसून भी अच्छा माना जा रहा है और सरकार ने भी कुछ राहत के कदम उठाए हैं। इस वजह से उन्हें भरोसा था कि मांग सुधरेगी लेकिन अब ये युद्ध फिर से मुश्किलें खड़ी कर सकता है।