चारधाम इलाके में हेलीकॉप्टर हादसों का सिलसिला अब डराने लगा है। एक के बाद एक इतने हादसे हो चुके हैं कि लोगों के मन में डर बैठ गया है। कोई पूछने वाला नहीं है कि आखिर ये हादसे हो क्यों रहे हैं। कौन जिम्मेदार है इन सबका। अब धीरे धीरे इसके पीछे की सच्चाई सामने आ रही है।
हेलीकॉप्टर उड़ाने का लंबा तजुर्बा रखने वाले एक पायलट ने बताया कि खराब मौसम सही ट्रेनिंग की कमी और उड़ान से जुड़े इंतजाम कमजोर होने की वजह से हादसे होते हैं। उन्होंने कहा कि इस पूरे सिस्टम को देखने वाला कोई मजबूत अफसर तक नहीं है जो सब पर नजर रख सके। यही वजह है कि हादसे लगातार बढ़ रहे हैं।
ताजा हादसा रविवार को हुआ जब आर्यन एविएशन का हेलीकॉप्टर केदारनाथ से लौटते वक्त गौरीकुंड के पास जंगल में जा गिरा। इस हेलीकॉप्टर में सात लोग थे जिनमें दो साल की एक बच्ची भी थी। कोई भी नहीं बचा। ये हादसा यात्रा शुरू होने के बाद डेढ़ महीने से भी कम वक्त में पांचवां है। अब आप ही सोचिए कि पैंतालीस दिन में पांच हादसे क्या किसी भी सूरत में ठीक माने जा सकते हैं।
करीब पंद्रह साल से उड़ान से जुड़े एक पायलट ने बताया कि चारधाम का इलाका मौसम के मिजाज और खतरनाक रास्तों की वजह से सबसे मुश्किल माना जाता है। फिर भी यहां इस तरह की लापरवाही नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि जो पायलट यहां उड़ान भरते हैं उन्हें उस खास इलाके की उड़ान के लिए ठीक से ट्रेनिंग तक नहीं दी जाती। उनका कहना था कि डीजीसीए के नियम इतने ढीले हैं कि वो इन चुनौतियों के लायक नहीं हैं।
उसी हादसे में मारे गए पायलट राजवीर सिंह चौहान का उदाहरण देते हुए बताया गया कि वो सेना में थे और उड़ान का अच्छा अनुभव रखते थे मगर चारधाम और कमर्शियल उड़ानों का तजुर्बा उनके पास नहीं था। उन्होंने कहा कि इस इलाके में हेलीकॉप्टर उड़ाने से पहले पचास घंटे की स्पेशल ट्रेनिंग जरूरी होनी चाहिए जो डीजीसीए की मंजूरी वाले किसी सीनियर ट्रेनर से हो।
कुछ पायलटों ने ये भी बताया कि कई बार प्राइवेट कंपनियों में काम करने वाले पायलट दबाव में रहते हैं। उन पर ज्यादा उड़ान भरने का बोझ रहता है जिससे थकान होती है और गलतियां हो जाती हैं। उन्होंने कहा कि रोज कितनी बार उड़ान होगी इसकी एक सीमा होनी चाहिए ताकि पायलट ठीक से आराम कर सके। उन्होंने साफ कहा कि कमाई से ज्यादा जरूरी लोगों की जान है।
उन्होंने बताया कि केदारनाथ में दो हेलीपैड हैं मगर एक वीआईपी के लिए रखा गया है और दूसरा आम लोगों के लिए। नतीजा ये होता है कि एक हेलीपैड पर ज्यादा दबाव होता है और दूसरा खाली रहता है। उन्होंने सुझाव दिया कि जब कोई वीआईपी न हो तो दोनों हेलीपैड को बराबर इस्तेमाल किया जाए। इसके अलावा गुप्तकाशी में भी एक बड़ा हेलीपैड बनाना चाहिए जैसा देहरादून में सहस्रधारा में है।
उन्होंने कहा कि चारों धामों में मौसम की जानकारी देने वाले ऑटोमैटिक सिस्टम भी लगने चाहिए। सूरज निकलने के आधा घंटा बाद से लेकर सूरज डूबने से आधा घंटा पहले तक ही उड़ान की इजाजत होनी चाहिए। साथ ही हेली कंपनियों का चुनाव बहुत सोच समझकर होना चाहिए ताकि भीड़भाड़ भी कम हो और जिम्मेदार लोग ही उड़ान भरें।
उन्होंने बताया कि फिलहाल यहां आठ नौ कंपनियां शटल सेवा देती हैं और पंद्रह से ज्यादा चार्टर्ड हेलीकॉप्टर चलाते हैं। इतनी ज्यादा कंपनियों से हादसे बढ़ते हैं और कंट्रोल नहीं हो पाता। टिकट महंगे करने की बात भी उन्होंने कही ताकि उड़ानों की संख्या थोड़ी कम हो और दबाव भी घटे। साथ ही एक ऐसा सिस्टम बनाया जाए जो हर उड़ान पर नजर रखे और जो भी गलती करे उस पर तुरंत सख्त कार्रवाई हो।
उन्होंने कहा कि खराब मौसम में हेलीकॉप्टर नहीं उड़ना चाहिए। यहां तक कि चिड़ियां भी ऐसे मौसम में उड़ान नहीं भरतीं। हमें उनसे सीखना चाहिए। रविवार की घटना के बाद सरकार ने आर्यन एविएशन की उड़ानें रोक दी हैं। डीजीसीए को आदेश दिया गया है कि अब केदारनाथ घाटी में चल रही हर उड़ान पर नजर रखी जाए। ट्रांसभारत के दो पायलटों के लाइसेंस भी सस्पेंड कर दिए गए हैं जो खराब मौसम में उड़ गए थे।