नैनीताल। चितई गोलू देवता मंदिर(Chitai Madir) को ट्रस्ट बनाये जाने के मामले को लेकर अब सुनवाई 3 मार्च को होगी।
चितई मंदिर (Chitai Madir)को ट्रस्ट बनाने की मांग लंबे समय से उठती रही है। चितई मंदिर को ट्रस्ट बनाने की मांग को लेकर एक याचिका हाईकोर्ट नैनीताल में लंबित है। इसके अलावा”इन द मैटर ऑफ रिमूवल ऑफ इललीगल रिलिजियस स्ट्रक्चर ऑन द पब्लिक लैंड” पर हाईकोर्ट नैनीताल में एक और याचिका पर सुनवाई चल रही है।
गौरतलब है कि अल्मोड़ा स्थित गोलज्यू चितई मंदिर (Chitai Madir) में हो रही अनियमितताओं को लेकर नैनीताल निवासी दीपक रुवाली की ओर से पूर्व में हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी।
बताते चले कि ऐतिहासिक चितई मंदिर(Chitai Madir) विश्व प्रसिद्ध है। यहां हर साल हजारों पर्यटक दर्शन के लिए आते है इसके अलावा विवाह और अन्य संस्कारों समेत कई धार्मिक अनुष्ठान यहां पर संपन्न कराए जाते है। कुछ लोगों द्वारा चितई मंदिर (Chitai Madir) में ट्रस्ट बनाये जाने की मांग लंबे समय की जा रही है। जबकि एक पक्ष ट्रस्ट बनाये जाने के खिलाफ है।
गुरूवार को मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन एवं न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ के सामने ”इन द मैटर ऑफ रिमूवल ऑफ इललीगल रिलिजियस स्ट्रक्चर ऑन द पब्लिक लैंड” नाम से जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। याचिका में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के सार्वजनिक संपति पर अतिक्रमण कर अवैध तरीके से बनाये गये धर्मस्थलों को नही हटाया गया है।
गुरूवार को इस मामले पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने 2009 में सभी राज्यों को सार्वजनिक स्थानों व सरकारी भूमि पर अतिक्रमण कर बनाए गए धर्मस्थलों को हटाने को कहा था। और उत्तराखण्ड सरकार ने तक इस आदेश का पालन नही किया। इस मसले पर बुधवार को भी सुनवाई हुई थी।
गुरूवार 27 फरवरी को हाईकोर्ट ने जिलाधिकारी अल्मोड़ा से जांच रिपोर्ट मंगवाई है। सुनवाई में अदालत ने जिलाधिकारी अल्मोड़ा से 2018 में की गई जांच की रिपोर्ट देने को कहा है।
सरकारी भूमि पर बने धार्मिक स्थलों की सूची तलब
कोर्ट ने उत्तराखण्ड के मुख्य सचिव से सार्वजनिक भूमि पर अतिक्रमण कर बनाये गये धार्मिक स्थलों की सूची तलब की है। हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि मुख्य सचिव सूची पेश कर बताये कि उत्तराखण्ड के 13 जनपदों में अभी तक सार्वजनिक स्थलों पर अतिक्रमण कर कितने मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारे और चर्च बनाये गये है। सार्वजनिक स्थानों व सरकारी भूमि पर बनाए गए हैं। कोर्ट ने यह भी कहा कि सूची पेश नहीं करने पर मुख्य सचिव को चार मार्च को कोर्ट में व्यक्तिगत रूप से पेश होना होना होगा।