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Almora- वनाग्नि से होने वाले नुकसान के मूल्यांकन पर गोष्ठी का आयोजन, पढ़ें पूरी खबर

Newsdesk Uttranews
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अल्मोड़ा, 01 मार्च 2021
गोविंद बल्लभ पंत राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण संस्थान, कोसी कटारमल (Almora) द्वारा हिलांस कार्यालय, कफड़ा द्वाराहाट में वनाग्नि से होने वाले नुकसान के मूल्यांकन विषय पर आधारित एक दिवसीय गोष्ठी का आयोजन किया गया।

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गोष्ठी में 12 गांवों कफड़ा, नौगांव, नहारा, छबीसी, उभियाड़ी, चिललगांव, मासर, मटेला, दड़माड़ नौघर के 100 लोगों ने प्रतिभाग किया। जिसमें 85 महिलाऐं एवं 15 पुरूष थे।

गोष्ठी का शुभारंभ करते हुए संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं सामाजिक आर्थिक विकास केन्द्र के प्रमुख डॉ. जीसीएस नेगी ने सभी प्रतिभागियों एवं ग्राम प्रतिनिधि ग्राम प्रधान, वार्ड मैम्बरों का स्वागत करते हुए जंगलों में लगने वाली आग से होने वाले नुकसान के बारे में विस्तार से बताया।

साथ ही उन्होंने जंगलों में आग लगने का मुख्य माध्यम चीड़ की पत्तियों (पीरूल) के संस्थान द्वारा बनाये जा रहे विभिन्न उत्पादों के बारे में बताया, जिसका उपयोग कर जंगलों से पीरूल को कम किया जा सकता है।

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इसी क्रम में संस्थान के शोधार्थी डा. प्रदीप मेहता ने जंगल की आग से होने वाले नुकसान का आकलन करने का तरीका भी ग्रामीणों को बताया। गोष्ठी में संस्थान के ग्रामीण तकनीकी परिसर की प्रभारी वैज्ञानिक डॉ. हर्षित पंत जुगरान ने ग्रामीणों को पीरूल के तैयार किये गये विभिन्न उत्पादों (फाइल कबर, मीटिंग फोल्डर, कैरी बैग, शादी के कार्ड ,राखी, विभिन्न प्रकार के आभूषण एवं बायोब्रिकेट) के बारे में जानकारी प्रदान की।

जिसके बाद संस्थान में मास्टर ट्रेनर डीएस बिष्ट ने प्रतिभागियों को पीरूल से चारकोल तैयार कर जैविक ईधन (बायोब्रिकेट) बनाने पर प्रयोगात्मक जानकारी प्रदान की। इस अवसर पर सभी ग्रामों के ग्राम प्रधान भी मौजूद रहे।

स्पर्धा संस्था के निदेशक ई. दीप चन्द्र बिष्ट ने प्रतिभागियों को जंगलों में आग लगने से उठने वाले धुएं से मधुमक्खी पालन व्यवसाय को होने वाले नुकसान की चर्चा की।

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गोष्ठी में उपस्थित कफड़ा बालिका इण्टर कॉलेज से सेवानिवृत प्रधानाचार्या ने प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए पीरूल से उत्पाद बनाकर स्वरोजगार की ओर आने के लिए कहा।

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