अल्मोड़ा- यहां दुकानों में नहीं मार्गों में सज रहा है सामान,कौन दे रहा है अतिक्रमण की इजाजत?

Newsdesk Uttranews
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अल्मोड़ा— अल्मोड़ा नगर में अतिक्रमण और जिम्मेदार संस्थाओं की लापरवाही ने शहर की फिंजा ​बिगाड़ दी है. यहां अतिक्रमण के चलते लोग परेशान हैं ही. जिम्मेदार संस्थाओं की अनदेखी के चलते अतिक्रमण करने वालों के हौंसले बुलंद है. हालत यह है कि दुकान संचालित करने वाले यह लोग दुकानों में नहीं बल्कि मुख्य मार्गों और गलियों में अपनी बाजार सजाने लगे हैं.

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मुख्य मार्गो में बाजार सजा देने से लोगों का निकलना मुश्किल हो रहा है जबकि लोग खुले आम दुकान या गोदाम के अंदर लगने वाले सामान को रास्तें में लगा रहे हैं. यहां पर सवाल यह नहीं है कि यह कौन कर रहा है जबकि सवाल यह उठ रहा है कि ऐसा क्यों हो रहा है. क्योंकि इससे जहां बाजार में आने वाले लोगों को परेशानी हो रही है वहीं बाजार में व्यवस्थाएं बनाने की जद्दोहद की बात करने वाले भी असहज महसूस कर रहे हैं. ऐसे में जो जिम्मेदार संस्थाए (पालिका और प्रशासन)इस प्रकार के लोगों पर कार्रवाई कर सकते हैं उनका चुप रहने से स्थिति और गंभीर हो रही है.

अल्मोड़ा नगर विषम भौगौलिक परिस्थितियों वाला शहर है. यहां बाजार और सड़के भी काफी संकरी है इसी कारण अल्मोड़ा बाजार में वाहनों तक का प्रवेश वर्जित है. लोगों से बार बार इन्हीं व्यवस्थाओं को बनाने की अपील की जाती है. कुल लोग इसका पालन करते है लेकिन ​कुछ ने मानो नियमों की अनदेखी करना ही अपना अधिकारी समझ लिया है.

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शहर को आने वाला धारानौला मार्ग, सीढ़ी बाजार मार्ग या फिर शिखर तिराहे से लाला बाजार मार्ग हो सभी में कहीं ना कही अतिक्रमण की बात सामने आती है. जिन मार्गों में वाहन चलते हैं वहां पुलिस की सख्ती से स्थिति ठीक है लेकिन पैदल मार्गों पर आस पास के दुकानदारों ने अतिक्रमण को अपना हक ही समझ लिया है. कार्रवाई होती नहीं है इसलिए इनके भी हौसले बुलंद है लेकिन राहगीर और आम जनता का इन मार्गों से गुजरना दूभर होता जा रहा है.

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माल रोड को मुख्य मार्ग से बाजार को जोड़ने वाले मुख्य संपर्क मार्गों में आस पार के दुकान स्वामियों द्वारा बिक्री के सामान की मार्ग में ही नुमाईश लगा डाली है. बड़ी बड़ी टंकिया, पाइप और अन्य भारी भरकम सामान मार्ग के किनारे डाल दिया जा रहा है. पर्यटक और आम लोग जब इस मार्ग से गुजरते हैं तो उनका निकलना दूभर हो जाता है क्योंकि मार्ग का एक हिस्सा पूरी तरह अघोषित रूप इन दुकान स्वामियों के कब्जे में है.

लोगों को कहना है कि ऐसी स्थिति में कई बार यह अहसास ही नहीं होता कि यह मुख्य मार्ग है या दुकान का हिस्सा क्योंकि सामान की अधिकता के चलते मार्ग काफी घिर जाता है और उनका निकलना मुश्किल हो जाता है. अब यदि जिम्मेदार संस्थाएं अपने उद्देश्य से पीछे हट जाए तो इस प्रकार के उदाहरण आए दिन सामने आते ही रहेंगे.

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