पत्नी-बच्चे संग पहलगाम घूमने गए बितान अधिकारी कौन थे? जिनका भारत आना बन गया आखिरी सफर

जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हाल ही में हुआ आतंकी हमला केवल भारत ही नहीं, बल्कि दुनियाभर के लिए चिंता का विषय बन गया है। इस…

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जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हाल ही में हुआ आतंकी हमला केवल भारत ही नहीं, बल्कि दुनियाभर के लिए चिंता का विषय बन गया है। इस हमले को लेकर कई अंतरराष्ट्रीय नेताओं ने गहरी संवेदना जताई है और इसे मानवता के खिलाफ हिंसा करार दिया है। हमले की विभीषिका का अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इसमें एक ही परिवार के कई सदस्य इसकी चपेट में आ गए। मृतकों में कोलकाता निवासी बितान अधिकारी भी शामिल हैं, जो पेशे से एक आईटी इंजीनियर थे और अमेरिका के फ्लोरिडा में स्थित टीसीएस कार्यालय में कार्यरत थे।

हाल ही में बितान अधिकारी अपने परिवार के साथ भारत लौटे थे। वे आठ अप्रैल को पत्नी सोहिनी और तीन साल के बेटे के साथ कोलकाता स्थित अपने घर आए थे। लंबे समय बाद अपने देश लौटने की खुशी में उन्होंने अपने परिवार संग कुछ दिनों की छुट्टियां बिताने का निर्णय लिया था। इस सिलसिले में वे पहलगाम घूमने गए थे। उन्हें गुरुवार को कोलकाता लौटना था, लेकिन उससे एक दिन पहले ही वह आतंकियों की गोली का शिकार बन गए। इस हमले में बितान की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि उनकी पत्नी और बेटा किसी तरह से बाल-बाल बच गए।

यह हादसा न केवल बितान के परिवार के लिए एक गहरा व्यक्तिगत नुकसान है, बल्कि उस समाज के लिए भी एक चौंकाने वाली त्रासदी है जो हर साल अपने लोगों को बेहतर जीवन की तलाश में विदेश भेजता है और फिर उन्हें अपनों के बीच कुछ पल बिताने की उम्मीद के साथ घर बुलाता है। बितान अधिकारी की मौत ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि आखिर निर्दोष पर्यटक कब तक आतंक का निशाना बनते रहेंगे।

घटना की जानकारी मिलते ही पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बितान की पत्नी से फोन पर बात की और उन्हें हरसंभव मदद का आश्वासन दिया। मुख्यमंत्री ने इस मामले पर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट करते हुए गहरी संवेदना व्यक्त की। उन्होंने लिखा कि जम्मू-कश्मीर में हुए आतंकी हमले के पीड़ितों के परिवारों के साथ मेरी संवेदनाएं हैं। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि बितान अधिकारी पश्चिम बंगाल के निवासी थे और राज्य सरकार उनके पार्थिव शरीर को कोलकाता स्थित उनके घर तक पहुंचाने के लिए सभी ज़रूरी कदम उठा रही है।

सरकार की ओर से यह आश्वासन पीड़ित परिवार के लिए राहत की बात है, लेकिन यह त्रासदी देश के सामने कई गंभीर सवाल छोड़ जाती है। अब यह ज़रूरी हो गया है कि आम नागरिकों और पर्यटकों की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाए ताकि भविष्य में कोई और बितान अधिकारी इस तरह आतंक का शिकार न हो।