उत्तराखंड के बद्रीपुर में राजकीय इंटर कॉलेज मेदनीपुर की एक ऐसी घटना सामने आई है। किसने हर किसी को हैरान कर दिया है इस स्कूल में 12वीं कक्षा यानी 22 छात्र एक साथ फेल हो गए तो वही स्कूल के दसवीं के 94% बच्चे पास हो गए।
यह अजब गजब परिमाण शिक्षा विभाग के लिए काफी बड़ी पहेली बन गया है। आखिर ऐसा क्यों हुआ कि एक ही स्कूल में दो कक्षाओं के नतीजे इतने अलग-अलग हैं? क्या इसके पीछे स्कूल की नीतियां जिम्मेदार है या कोई बच्चों की मजबूरी ? आइए इस कहानी को गहराई से समझते हैं।
राइंका मेदनी’पुर, बद्रीपुर में इस साल का बोर्ड परीक्षा परिणाम चौंकाने वाला रहा। 12वीं कक्षा में पढ़ रहे 22 छात्र-छात्राओं में से एक भी पास नहीं हो सका। वहीं, 10वीं कक्षा में 66 बच्चों में से 62 ने सफलता हासिल की यानी लगभग 94% पास। इस विरोधाभास ने न केवल स्कूल प्रबंधन को, बल्कि शिक्षा विभाग को भी सकते में डाल दिया।
जब यह बात शिक्षा विभाग तक पहुंची तो अफसर को भी काफी हैरानी हुई। स्कूल की जांच की गई और स्कूल वालों से जवाब भी मांगा गया। मगर स्कूल प्रबंधन का जवाब सुनकर यह मामला और भी पेचीदा हो गया।
स्कूल का कहना है कि 12वीं में केवल पीसीएम (फिजिक्स, केमिस्ट्री, मैथ्स) विषय उपलब्ध है और अन्य विषयों का कोई विकल्प नहीं होने की वजह से बच्चों को मजबूरी में यही पढ़ना पड़ा।
स्कूल प्रबंधन का कहना है कि 12वीं के ज्यादातर बच्चे कला विषय पढ़ना चाहते थे। मगर स्कूल में यह सुविधा न होने की वजह से उन्हें पीसीएम लेना पड़ा। इनमें से कई बच्चे आर्थिक रूप से कमजोर भी थे और उनके पास दूसरे स्कूल में दाखिला लेने का भी कोई विकल्प नहीं था। स्कूल में छात्र संख्या शून्य ना हो इसलिए इन बच्चों को दाखिला दे दिया।